Nirsa : प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता के कारण पंचेत डैम के किनारे गांवों में गुजर-बसर करने वाले मछुआरों व ग्रामीणों के समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है. कतिपय लोगों द्वारा मछली मारने में प्रतिबंधित कोचाल जालों का उपयोग किए जाने से मछली का अंडा और जीरा बर्बाद हो रहा है. इसका नमूना 7 जून बुधवार को देखने को मिला. कालूबथान क्षेत्र के आंखबेडिया गांव के समीप कुछ लोगों ने दामोदर नदी में बड़ी मछलियों को पकड़ने के लिए कोचाल जाल डाला, तो जाल में बड़ी मछलियों के साथ-साथ मछली का जीरा और अंडा भी आ गया. वे लोग बड़ी मछलियों को तो साथ ले गए, लेकिन छोटी मछलियों व जीरा को डैम के किनारे फेंक दिया. मछुआरों व ग्रामीणों ने इसकी सूचना कालूबथान पुलिस व सीओ को दी, लेकिन कोई देखने तक नहीं आया. अधिकारियों के इस रवैये से ग्रामीण मछुआरों में रोष है.
मछुआरों के पक्ष में खडे कांग्रेसी नेता सुधांशु शेखर झा ने कहा कि उन्होंने डैम किनारे बसे 36 गांवों के विस्थापितों व मछुआरों को साथ लेकर पिछले फरवरी में कोचाल जाल के उपयोग के खिलाफ आंदोलन चलाया था. जिला से लेकर प्रदेश तक के अधिकारियों का दरवाजा खटखटाया. सभी जगहों पर सिर्फ आश्वासन ही मिला परिणाम कुछ नहीं निकला. आज भी कतिपय लोगों द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों की सांठगांठ से प्रतिदिन लाखों रुपये का मछली जीरा व अंडा बर्बाद किया जा रहा है. इसके खिलाफ कांग्रेस ग्रामीणों के सहयोग से आरपार की लड़ाई लड़ेगी. इसकी रूपरेखा तैयारी की जा रही है. जल्द ही आंदोलन की घोषणा की जायेगी.
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