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धनबाद: बदनाम वासेपुर को सुनाम देती महिलाएं

Dhanbad : वासेपुर के पाण्डरपाला में रहने वाली 30 से अधिक महिलाओं की सोच कोरोना संकट ने बदल दी है. ये महिलाएं पहले अलग-अलग काम करती थी-मशरुम की खेती से मसाला बनाने तक. कोरोना का प्रकोप बढ़ने के बाद महिलाओं को अपने उत्पाद बेचने में परेशानी होने लगी. कोरोना काल में मास्क की डिमांड बढ़ गई थी. यह देख महिलाओं ने मास्क बनाना शुरू किया. लेकिन, यह कारोबार भी काफी दिनों तक नहीं चला.  मास्क से महिलाओं को कपड़ा सिलाई का आइडिया जरूर आया .

हर माह 5 से 7 हजार रूपए कमा रहीं 

इसके बाद 10 महिला समूह को मिलाकर एक बड़ा समूह बनाया गया. नाम दिया गया -पाण्डरपाला महिला आजीविका क्षेत्रीय स्तर संगठन.  महिलाओं  ने लगातार को बताया कि अब वे लोग मास्क ही नहीं, नाइटी, ब्लाउज, सलवार सूट, पेटिकोट आदि का निर्माण कर रही हैं. इस समूह में फिलहाल 30 महिलाएं काम कर रही हैं. हर महिला प्रति माह 5 से 7 हजार रूपए कमा रही हैं. अब वेअपने उत्पाद कोलकाता तक भेज रही हैं.

मास्क ने ज़िंदगी बदल दी 

स्वयं सहायता समूह की सामुदायिक संसाधन सेवी फरीन नाज ने बताया कि समूह में ऐसी महिलाएं भी हैं, जो आत्मनिर्भर हैं . घर -परिवार का खर्च उठा रही हैं. उन्होंने बताया कि यह समूह 2018 से चल रहा था, लेकिन लॉकडाउन के बाद एक्टिव हुआ और मास्क बनाना शुरू किया गया. धीरे - धीरे यह समूह रेलवे व असर्फी हॉस्पिटल को मास्क बनाकर देने लगा. अब तो सलवार सूट, नाइटी, ब्लाउज, पेटीकोट इत्यादि बनाकर कोलकाता तक भेज रही हैं . यह भी पढें : सदरअस्पताल">https://lagatar.in/bokaro-life-saving-medicines-worth-lakhs-got-rotten-in-the-sandas-of-sadar-hospital/">सदरअस्पताल

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