Shivendra Tiwari
असम में बाढ़ की समस्या विकराल रूप लेती जा रही है. पूरी तरह से नदी घाटी पर बसे इस राज्य में अब बाढ़ एक तय वार्षिक आपदा का रूप ले चुकी है. इस साल भी असम में 20 जिलों में करीब 2 लाख लोग मूसलाधार बारिश और बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. वहीं करीब 222 से ज्यादा गांव बाढ़ में घिर गए हैं. गांवों में लैंडस्लाइड भी जारी है. अब तक आठ लोगों की मौत हो चुकी है. कछार जिला सबसे ज्याढदा प्रभावित है. आलम यह है कि हजारों हज़ार लोग अपने घरों से दूर राहत कैंपों में अपनी जान बचा रहे हैं. सड़के बह गई हैं, रेल की पटरी डूब गई हैं, इंसान तो इंसान जानवरों को भी बाढ़ ने चपेट में ले लिया है. कोपली नदी का पानी 20 जुलाई 2004 के बाद अपने उच्चतम स्तर 61.79 मीटर को भी पार कर गया है. मुख्य रूप से असम में दो नदियां बाढ़ में बड़ी भूमिका निभाती है – ब्रह्मपुत्र और बराक,उनके अलावा अन्य 48 सहायक नदियां भी हैं. असम बाढ़ से जुड़े कुछ आंकड़ों पर आइए नजर डालते हैं –
• 1912 से 1928 के बीच असम सरकार द्वारा सर्वे किया गया, जिसके मुताबिक, ब्रह्मपुत्र नदी असम राज्य के 3 हजार 870 वर्ग किमी को कवर करती थी, 1963-75 के बीच ये आंकड़ा बढ़ कर 4,850 वर्ग किमी हो गया,और 2006 में ये 6080 वर्ग किमी हो गया.
• 1950 से अब तक असम में करीब 25 बड़े सैलाब आ चुके हैं.
• सितंबर 2015 में असम सरकार के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए एक रिपोर्ट के अनुसार, बाढ़ ने 1954 से 2015 के बीच राज्य की 3 हजार 800 वर्ग किमी की खेती की जमीन नष्ट कर दी है. यह एरिया गोआ राज्य के पूरे एरिया से भी ज्यादा है.
• इतनी बड़ी खेती की भूमि का बर्बाद होना असम जैसे राज्य के लिए गंभीर समस्या है क्योंकि उसकी 75% आबादी खेती-बाड़ी पर निर्भर है.
• दूसरी ओर, 2010 से 2015 के बीच असम में बाढ़ ने 880 गांव को पूरी तरह उजाड़ दिया, इन 5 सालों में 36 हजार 981 परिवार बेघर हुए हैं.
• आंकड़ों के मुताबिक, असम को हर साल 200 करोड़ रुपए का नुकसान बाढ़ की वजह से होता है, कुछ साल तो यह आंकड़े और भी ज्यादा होते हैं जैसे 1998 में 500 करोड़ तो 2004 में 771 करोड़.
• असम राज्य, तिब्बत, भूटान, अरुणाचल और सिक्किम ऐसे जगहों के ढलान भूमि के मार्ग में आता है यानी इन क्षेत्रों से जल निकासी का रास्ता असम की ओर ही जाता है, जो असम में बुरे हालात पैदा करता है.
• असम में नॉर्मल से ज्यादा यानी 248 सेमी से 635 सेमी बारिश होती है, इसकी वजह से ब्रह्मपुत्र बेसिन को माना जाता है. मॉनसून के दिनों में तो यहां 40 मिमी से अधिक बारिश प्रतिघंटे होती है.
• रहने की भूमि कम होने के कारण यहां भूखंड पर ज्यादा आबादी रहती है, कहने का मतलब है कि 1940-41 असम के विभिन्न जिलों में ब्रह्मपुत्र घाटी में 9 से 29 लोग 1 किमी के दायरे में रहते थे. लेकिन अभी आंकड़ा बढ़कर 200 हो गया है.
• असम जो कि हिमालय का एक हिस्सा है, उसकी भूमि कुछ कम सख्त है, ऐसे में ऊंचाई पर स्थित तिब्बत भूटान सिक्किम अरुणाचल प्रदेश से असम की ओर आने वाले पानी की तेज धार बाढ़ को और ज्यादा रौद्ररूप दे देती है.
• असम की कुल भूमि का कुल 31 हजार 500 वर्ग किमी का हिस्सा बाढ़ प्रभावित है. यानी, असम राज्य का करीब 40% हिस्सा बाढ़ प्रभावित है. देशभर से इसकी तुलना करें तो, देशभर का 10.2% हिस्सा बाढ़ प्रभावित है.
असम में बाढ़ की स्थिति तमाम प्रयासों के बावजूद काबू में नहीं हो पाई है ऐसे में बीते कई सालों में उठाए गए कदमों का आकलन कर सरकार को कोई ऐसी नीति बनाने की आवश्यकता है, जो असम के लोगों के लिए वास्तव में राहत का काम करें. हालांकि कोरोना से हुए नुकसान से उबरने में लगी सरकार के लिए बाढ़ नई चुनौती बनकर आई है ऐसे में इस बार बाढ़ की मार की चोट भी ज्यादा महसूस होगी.