Bokaro: विकास के नाम पर जमीन का अधिग्रहण किया जाता है. उसकी एक प्रक्रिया होती है. उसके लिए नियम बनाये जाते हैं. उसके तहत कार्य किया जाता है. तब समस्या नहीं होती है, लेकिन जब नियम के खिलाफ काम किया जाता है तो जमीन मालिकों में असंतोष होता है. वे वरोध कर आंदोलन पर उतर आते है. ऐसा विरोध बोकारो में हुआ. विस्थापित संघर्ष मोर्चा और झारखण्ड नवनिर्माण सेना ने संयुक्त रूप से गाजा-बाजा एवं पारंपरिक हथियारों के साथ बीएसएल के प्रशासनिक भवन के समक्ष प्रदर्शन किया.
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प्रदर्शन के बाद धरने पर बैठे विस्थापित
हजारों की संख्या में विस्थापित संघर्ष मोर्चा के सदस्य बैनर पोस्टर लेकर मोर्चा के अध्यक्ष गुलाबचंद महतो के नेतृत्व में बीएसएल के प्रशासनिक भवन के सामने पहुंचे और विरोध प्रदर्शन किया. वहां पहुंचने पर जिला प्रशासन ने उन्हें रोक दिया. सेल के सुरक्षाकर्मी एवं जिला प्रशासन के साथ प्रदर्शनकारियों की नोंकझोंक हुई. काफी संघर्ष हुआ. सड़क पर लगे बैरिकेटिंग के समीप हो रहा प्रदर्शन कुछ देर बाद धरना में परिवर्तित हो गया. देर तक हंगामा होता रहा.
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नहीं चलेगी बीएसएल की मनमानी
विस्थापित संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष गुलाबचंद महतो ने कहा कि बीएसएल की मनमानी नहीं चलेगी. बीएसएल द्वारा जो विस्थापितों की जमीन अधिग्रहित की गई है, जो सरप्लस है, उसे अतिक्रमण मुक्त कर हमें वापस की जाय. अतिक्रमण कर जो शहर में बसे हुए हैं उनसे खाली कराकर विस्थापितों को जमीन वापस की जाय. वर्ष 1966 में नरकरा पंचायत की जमीन वापस कर दी गयी थी वह भी सिर्फ कागजों में, आज उसे भी बाहरी लोगों के द्वारा अतिक्रमण कर रखा गया है. इससे यहां के विस्थापितों के सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गयी है. विस्थापित भूखमरी के कगार पर हैं. यदि हमारी मांगे नहीं मानी गयी तो हम उग्र आंदोलन करेंगे. उसके लिए हमे गोली भी खानी पड़े तो हम तैयार हैं.
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