पंकरी-बरवाडीह कोल परियोजना से हुए थे विस्थापित
अवैध ट्रांसपोर्टेशन के लिए वैध चालान जारी करने वाले वन विभाग के अधिकारी ही वन भूमि भी बेच रहे
Praveen Kumar
Hazaribagh : पंकरी-बरवाडीह कोल परियोजना बड़कागांव से विस्थापित भूमिहीन परिवारों को कहीं बसाया नहीं गया है. मजबूरन वन क्षेत्र को अपना आशियाना बना लिया है लेकिन विस्थापित भुइयां परिवारों को वन भूमि पर घर बनाने के लिए प्रेरित करने वाले कोई और नहीं, बल्कि एनटीपीसी के एमडीओ (माइन डेवलपर ऑपरेटर ) त्रिवेणी-सैनिक माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड के आधिकारी -कर्मचारी हैं. जहां विस्थापितों ने घर बनाया है, वह पंकरी-बरवाडीह कोल परियोजना के गेट नंबर चार के सामने वाला क्षेत्र है. विस्थापितों के अनुसार, एमडीओ से जुड़े कर्मचारी शशि भूषण तिवारी ने ही वन भूमि पर घर बनाने को कहा है. साथ ही एनटीपीसी एमडीओ त्रिवेणी-सैनिक की ओर से बिजली और पानी की व्यवस्था करने की बात कही गयी है. कंपनी ने अपने प्रभाव से वन भूमि पर बने घरों में बिजली कनेक्शन भी करा दिया है. अवैध ट्रांसपोर्टेशन के लिए वैध चालान जारी करने वाले वन विभाग के अधिकारी भी विस्थापितों को वन भूमि पर बसाने में पीछे नहीं हैं बल्कि उनसे वन भूमि के बदले पैसे भी वसूल रहे हैं.
बाघजोबरा नाला के पास वन भूमि पर बसाया गया विस्थापितों को
बाघजोबरा नाला के पास ऊपरी डाड़ी के 30 भूमिहीन परिवारों को वन भूमि पर बसाया गया है. वन भूमि पर बसे भूमिहीन परिवारों का कहना है कि ऊपरी डाड़ी से उन्हें जबरन 6 माह पहले भगाया गया है. सभी भुइयां परिवार भूमिहीन हैं. कंपनी ने गैरमजरुआ भूमि पर बसे लोगों को किसी तरह का मुआवजा भी नहीं दिया है. त्रिवेणी-सैनिक ने मजदूरों के लिए अस्पताल खोला है, लेकिन इसमें विस्थापितों का इलाज नहीं किया जाता है.
इसे भी पढ़ें : दुनिया की पहली कोरोना नेजल वैक्सीन इनकोवैक, जो किसी भी वैक्सीन की बूस्टर डोज
15×30 फीट भूमि के लिए वसूले 50 हजार से 1 लाख
पंकरी-बरवाडीह कोल परियोजना से क्षेत्र से विस्थापित किए गए परिवारों से वन भूमि पर घर बनाने के लिए 15 फीट लंबी और 30 फीट चौड़ी भूमि जमीन के लिए 50 हजार से 1 लाख लाख रुपये वसूले गए हैं. दबी जुबान से सभी विस्थापित इस बात को स्वीकार भी करते हैं. लेकिन सिर से आशियाना छिन जाने के भय से विस्थापित कुछ कर नहीं कर पा रहे हैं. न ही किसी दल के राजनेता का उन्हें साथ मिल रहा है. विस्थापित कहते हैं कि सभी नेताओं और सरकारी आधिकारियों को कंपनी के लोगों ने मिलाकर रखा है. वन विभाग के लोगों को भी वन भूमि पर बसने के लिए पैसा दिया गया है.
परियोजना से कितने परिवार हुए विस्थापित
- बरवाडीह गांव 50 परिवार
- चिरुडीह 45
- इतिज 200
- उरुब 100
- चुरचू 1000
- उपरैली डाड़ी 225
- मझली डाड़ी 100
एनटीपीसी से जुड़े सवाल पर साध ली चुप्पी
एनटीपीसी से जुड़े मामलों को लेकर वन विभाग हजारीबाग पश्चिमी के वन अधिकारी (डीएफओ) को उनके वाट्स एप पर सवाल भी भेजा गया. पांच बार फोन भी किया गया लेकिन वह एनटीपीसी से जुड़े सवाल को लेकर किसी भी तरह का जवाब देने से इनकार कर रहे हैं. इस मामले में यदि वे अपना पक्ष रखते हैं, तो हम उसे भी प्रकाशित करेंगे.
इसे भी पढ़ें : अवैध खनन : जांच अधिकारी शरफुद्दीन, होटवार जेल अधीक्षक और पंकज के सहयोगी सूरज व चंदन को ईडी का समन