Anand Kumar
आम आदमी पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल से हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर का एक वीडियो जारी किया है. इसमें खट्टर साहब दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर कोरोना से बचाव के टीकों को लेकर राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं. उनके कहने का लब्बोलुआब यह है कि टीकों को बेशकीमती सामान की तरह बचा-बचा कर खर्च करना चाहिए. भला यह क्या बात हुई कि दो लाख टीके एक ही दिन में लगा दिये और अब कह रहे हैं कि टीकाकारण केंद्रों पर ताला लग गया है. हालांकि अरविंद केजरीवाल ने इस वीडियो पर कहा है, “खट्टर साहिब, वैक्सीन से ही लोगों की जान बचेगी. जितनी जल्दी वैक्सीन लगेंगी, उतने लोग सुरक्षित होंगे. मेरा मकसद वैक्सीन बचाना नहीं, लोगों की जान बचाना है. “ लेकिन खट्टर की बातों से तो लगता है कि टीका न हुआ, आम की टोकरी हो गयी, जिसे बचा-बचा कर खाओ तो ज्यादा दिन चलेगी.
बहरहाल आम आदमी पार्टी की तरफ से जारी मनोहर लाल खट्टर का यह वीडियो हमें बहुत कुछ सिखाता है. पहली बात, जो चीज कम हो, उसे किफायत से खर्च करो. यानी कोविड के टीके कम हैं. उदाहरणार्थ- जितनी खर्च हुई, उसे बराबर करने के लिए बोतल में उतना ही पानी डाल दो.
दूसरी कि भारत में अच्छे प्रशासक को अक्लमंद नहीं बल्कि काइयां होना चाहिए, नहीं तो उसका अच्छा काम भी तमाशा कहा जायेगा. वक़्त की ज़रूरत को समझकर चलने वाला मूर्ख होता है.
तीसरी बात यह साबित होती है कि सरकार से अपना हक मांगियेगा. सरकार को जिम्मेदारी याद दिलाइयेगा तो वह ड्रामा कहलायेगा. इससे खट्टर साहब जैसे ज्ञानियों को वीडियो बनाने का मौका मिलेगा.
चौथी बात, हमारी परंपरा है, महाजन येन गताः सह पंथाः. यानी जो सब कर रहे हों, वही करना चाहिए. भेड़ बनो. भेड़िया खुश रहेगा.
पांचवां सूत्र, सूझ-बूझ यही है कि जनता को कभी टीके, कभी ऑक्सीजन, कभी इंजेक्शन और कभी तमाशे में उलझाये रखो. राजनीति चलती रहेगी.
खट्टर जैसे ज्ञानी व्यक्ति को चुनने के लिए हरियाणा की प्रबुद्ध भेड़ें, ओह माफ कीजिएगा, जनता बधाई की पात्र है. क्या आपको खट्टर का बयान सुनकर सिर धुनने का मन नहीं करता. हरिशंकर परसाई के शब्दों में- जिसे जहां नहीं होना चाहिए, वह ठीक वहीं पर है. और इसके लिए दोषी ये काइयां नेतागण नहीं हैं, बल्कि हम और आप हैं, जो ऐसे लोगों को चुनकर शासन करने के लिए भेजते हैं.