Vikram Singh Chauhan
देश के मशहूर वायरोलॉजिस्ट और हेपेटाइटिस-E वायरस पर रिसर्च के लिए विख्यात डॉ शाहिद जमील ने भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) के वैज्ञानिक सलाहकार ग्रुप के अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है. शाहिद जमील, केंद्र सरकार की ओर से बनाए उस खास सलाहकार ग्रुप के सदस्य थे, जिनके ऊपर वायरस के जीनोम स्ट्रक्चर की पहचान करने की जिम्मेदारी थी.
ऐसी खबरें हैं कि Indian SARS-CoV-2 Genomic Consortia (INSACOG) ने सरकार को मार्च में आगाह किया था कि कोरोना के नए और ज्यादा संक्रामक वैरिएंट आने वाले समय पर बड़े पैमाने पर तबाही मचा सकते हैं. लेकिन मोदी सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया. और तो और उनका आरोप है कि वैज्ञानिकों की डाटा आधारित बातें नहीं सुनी जाती.
उन्होंने 30 अप्रैल को पीएम मोदी से वैज्ञानिकों को डाटा उपलब्ध कराने की भी गुहार लगायी. लेकिन PMO टस से मस नहीं हुआ. शाहिद जमील ने न्यूयॉर्क टाइम्स में एक लेख लिखा था. जिसमें उन्होंने लिखा था कि भारत में वैज्ञानिक “साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण के लिए जिद्दी प्रतिक्रिया” का सामना कर रहे हैं. उन्होंने लेख में मोदी सरकार को यह भी सलाह दी थी कि वो वैज्ञानिकों की बात सुने. पॉलिसी बनाने में जिद्दी रवैया छोड़ें.
जमील ने कोरोना के नए वैरिएंट की तरफ ध्यान दिलाया और लिखा कि एक वायरोलॉजिस्ट के तौर पर मैं पिछले साल से ही कोरोना और वैक्सीनेशन पर नजर बनाए हुए हूं. मेरा मानना है कि कोरोना के कई वैरिएंट्स फैल रहे हैं और ये वैरिएंट्स ही कोरोना की अगली लहर के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं. उन्होंने लेख में कहा कि भारत में वायरस नए साल के आसपास म्यूटेंट हुआ, तेजी से फैला. इस वायरस ने पहले से मिली इम्यूनिटी को भी छका दिया.
सीक्वेंसिंग का डेटा बताता है कि जिस वैरिएंट ने कोरोना की दूसरी लहर को ताकत दी है, वो B.1.617 है. यह भारत में पहली बार दिसंबर 2020 में पाया गया था. भीड़ भरे कार्यक्रमों की वजह से ये फैल गया. भारत में सबसे ज्यादा संक्रमण इसी वैरियंट का है. WHO भी B.1.617 वैरिएंट को लेकर चिंता जता चुका है. जब इस वैरिएंट को बीमारी के एक भरोसेमंद हैमस्टर मॉडल पर टेस्ट किया गया तो दिखा कि ये मूल वायरस के B.1 वैरिएंट के मुकाबले ज्यादा वायरस पैदा करता है. फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है. दुनिया भर का डेटा दिखाता है कि वैरिएंट B.1.617 तीन अलग तरह के वायरस में बंट गया है. ये वैरिएंट भारत में ऐसी बड़ी आबादी में पनप रहे हैं, जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी है.
उन्होंने कोरोना पीक और वैक्सीन ड्राइव पर भी मोदी सरकार को सलाह दिया. लेकिन इतनी महत्वपूर्ण सलाह के बावजूद मोदी सरकार ने इसे रद्दी की टोकरी में डाल दिया और देश के ही नहीं विश्व के मशहूर वायरोलॉजिस्ट डॉ शाहिद जमील की बातों को अनसुना कर दिया. जिसका नतीजा आज देश भुगत रहा है. ऐसे में देश के लिए कुछ करने का जज्बा रखने वाले शाहिद जमील जैसे वैज्ञानिकों के पास इस्तीफा के अलावा और क्या रास्ता बचता है? मोदी सरकार ने देश में नरसंहार किया है, ये बात हर दिन साबित होती जा रही है.
डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं.