Surjit Singh
पंकज मिश्रा. झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार बनते के साथ ही संथाल परगना में एक नाम चर्चित हुआ. पंकज मिश्रा हेमंत सोरेन का विधायक प्रतिनिधि हैं. लेकिन उसकी सुरक्षा में चार-चार बॉडीगार्ड रहते हैं. वह अक्सर रांची आते-जाते रहते हैं. उन पर फोन करके कारोबारियों को धमकाने का आरोप है. कोयला, पत्थर व बालू का अवैध कारोबार कराने का भी आरोप लगते रहे हैं. लेकिन हर बार सरकार उसके मामले पर चुप रह जाती है.
पहला मामला- अप्रैल 2020 में एक ऑडियो वायरल हुआ था. जिसे लेकर मंत्री आलमगीर आलम ने एक प्राथमिकी भी दर्ज करायी थी. उन पर भी प्राथमिकी दर्ज की गई थी. वायरल ऑडियो में पहले मंत्री आलमगीर आलम और बरहड़वा टोल प्लाजा टेंडर लेने वाले शंभु भगत के बीच टेलिफोनिक बातचीत हो रही है. मंत्री टेंडर छोड़ने के लिए कह रहे हैं. लेकिन शंभु भगत राजी नहीं होता. तब मंत्री श्री आलम ने फोन पंकज मिश्रा को दे दिया. पंकज मिश्रा ने भी शंभु भगत से कहा कि टेंडर छोड़ दीजिये. लोकल आदमी काम करेगा. तब शंभु भगत ने पंकज मिश्रा से कहा कि आप नक्सलवादी जैसे बात करते हैं. इसके बाद दोनों के बीच खूब बहस हुई. यह मामला उस वक्त खूब चर्चा में रहा था. तभी लोगों ने पंकज मिश्रा का नाम जाना था.
दूसरा मामला – करीब दो हफ्ते पहले एक और ऑडियो वायरल हुआ. साहेबगंज के कारोबारी अंकुश और पुलिस पदाधिकारी रामहरीश निराला का. इसमें तीन गंभीर तथ्य हैं. पहली पुलिस अफसर ने पोस्टिंग के लिए पंकज मिश्रा को पांच लाख रूपये दिये. दूसरी हत्या के एक केस में पुलिस अफसर ने मदद की. तीसरी पंकज मिश्रा के इशारे पर ही साहेबगंज जिला के अफसर काम करते हैं. इन गंभीर तथ्यों की वजह से इस मामले की जांच की जरुरत है. लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चुप हैं. यह चुप्पी उन्हें आगे चल कर मुसीबत में डाल सकती है. क्योंकि वह राज्य के गृह मंत्री भी हैं. आरोपों की जांच कराना उनकी जिम्मेदारी है.
तीसरा मामला – बात दारोगा रुपा तिर्की की मौत की. इस मामले में भी रूपा तिर्की के परिजन पंकज मिश्रा को दोषी मान रहे हैं. बार-बार स्वतंत्र जांच की मांग कर रहे हैं. जांच अभी भी जिला पुलिस कर रही है. जिस पर आरोप (वायरल ऑडियो के अनुसार) है कि वह तो पंकज मिश्रा के कहने पर ही काम करती है. रूपा तिर्की की मौत के मामले में आदिवासी समाज यह मानता है कि जांच सही तरीके से नहीं हो रही है. रूपा तिर्की की मौत की जांच के लिए आंदोलन करने वाले गिरफ्तार किये जा रहे हैं. एक तरह से यह साहिबगंज पुलिस और पंकज मिश्रा के बीच संबंधों को उजागर होना है. लेकिन मुख्यमंत्री ने अब तक इस मामले में अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है. यह चुप्पी राजनीतिक रुप से नुकसानदेह हो सकता है.
चौथा मामला – बात वर्ष 2021 की शुरुआत की बात है. पंकज मिश्रा का नाम राजनीतिक सुर्खियों में तब आया, जब विधानसभा सत्र चल रहा था. झामुमो के ही विधायक लोबिन हेंब्रम ने मिर्जा चौकी बॉर्डर पर ओवरलोड ट्रकों को रेक लिया. एक को छोड़ किसी भी ट्रक के पास चलान नहीं थे. इस पर उन्होंने सवाल खड़े किये. झामुमो के विधायक और मुख्यमंत्री की भाभी सीता सोरेन सहित कई विधायकों ने लोबिन हेंब्रम का साथ दिया. इस मामले में भी पंकज मिश्रा का नाम चर्चा में आया था.
पाचवां मामला – पाकुड़ के भाजपा नेता और जिला परिषद के उपाध्यक्ष मुकेश शुक्ला ने थाना में आवेदन देकर पंकज मिश्रा पर गंभीर आरोप लगाये हैं. मुकेश शुक्ला ने साक्ष्य भी दिये हैं. पुलिस अभी इसकी जांच ही कर रही है. लेकिन उधर, पंकज मिश्रा के एक आवेदन पर साहिबगंज की पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है.
सहयोगी दल – अब बात सरकार के सहयोगी दल कांग्रेस की. कांग्रेस के कई नेताओं को लगता है कि पंकज मिश्रा के मामले में सीएम का स्टैंड सही नहीं है. कांग्रेसी नेताओं का तर्क है कि विधायक दीपिका पांडेय पर पुलिस के पदाधिकारी ने आरोप लगाया तब सरकार ने तुरंत प्राथमिकी दर्ज करा दी. कांग्रेस के ही विधायक अंबा पर पुलिस जब-तब प्राथमिकी दर्ज कर देती है. लेकिन पंकज मिश्रा के मामले में सरकार चुप रहती है. यह ठीक नहीं है.
हाइकोर्ट पहुंचा मामला – रूपा तिर्की की मौत और पंकज मिश्रा की संपत्ति की जांच कराने के लिए पिछले हफ्ते हाइकोर्ट में एक पीआइएल हुआ है. अगर कोर्ट ने सुनवाई करके जांच का ऑर्डर दे दिया, तो हेमंत सोरेन की दिक्कतें बढ़ेंगी. और यह इसलिए होगा क्योंकि सही समय पर उन्होंने मामलों में दखल नहीं दी. उनकी बदनामी होने लगी है. अगर समय रहते राज्य की एजेंसी ही पूरे मामले की जांच पूरी नहीं कर लेती है और किसी आदेश से जांच राज्य के बाहर के एजेंसी के हाथ में चला जाता है, तो यह मुख्यमंत्री के लिए नुकसानदेह हो सकता है. पंकज मिश्रा की वजह से केंद्र की जांच एजेंसी के लेपेटे में कई लोग आ सकते हैं.
Sahi laga sir