Dumaria : बालू की कमी के कारण भवन निर्माण कार्य में काफी कमी आ गई है. इसका साइड इफेक्ट यह हुआ कि ईट भट्ठा में निर्मित ईंटें कम बिक रही है. लिहाजा, कुछ संचालक ने ईट भट्ठा बंद कर भट्ठा परिसर में ही बकरी पालन शुरू कर दिया है. इसका नजारा देखना हो तो पूर्वी सिंहभूम जिला के डुमरिया प्रखंड अंतर्गत कुमड़ाशोल पंचायत के काशीडीह में संचालित ईट भट्ठा में आएं. यहां भट्ठा बंद है और ईंट भट्ठे में बकरी पालन किया जा रहा है. इस ईट भट्ठा में कभी मजदूरों की चहल पहल रहती थी, लेकिन अब सन्नाटा पसरा है. सैकड़ों मजदूर बेरोजगार हो गए हैं. काशीडीह स्थित एलएमबी ईंट भट्ठे के मालिक कृष्णा भकत के मुताबिक पिछले वर्ष तक ईंट भट्ठे में प्रोडक्शन हो रहा था. पिछले वर्ष तक तैयार छह लाख ईंटें बिकी ही नहीं, क्योंकि मार्केट में बालू नहीं है. भवन निर्माण कार्य काफी कम हुए. सरकार ने बालू के कारोबार पर पूरी तरह से रोक लगा दिया है. बालू घाटों की नीलामी नहीं हुई है. बालू की कमी से बिल्डिंग बनाने का काम नहीं के बराबर हुआ है. इससे ईंटों की डिमांड भी नहीं है.

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बकरी पालन से मात्र दो मजदूरों को ही मिला रोजगार
इस ईट भट्ठा में डुमरिया प्रखंड के लगभग 300 मजदूर मजदूरी करते थे. इन्हें एक सिजन में लगभग 35 लाख से ज्यादा की रकम मजदूरी के रुप में मिलती थी. प्रति सप्ताह एक लाख मजदूरी बंटती थी. सिजन के अंत में 15 से 20 लाख मजदूरी रकम के रूप में मजदूरों के पास जाती थी. इधर, ईट भट्ठा बंद होने के बाद कृष्णा भकत द्वारा ईंट भट्ठा परिसर में बकरी पालन का कारोबार शुरू किया गया है. कृष्णा भकत ने लगभग 2 लाख 25 हजार की लागत से सिरोही और बड़बरी नस्ल की 16 बकरियां खरीद कर रखी हैं. इनकी देखभाल में केवल दो मजदूरों को ही रोजगार मिल रहा है. कृष्णा के मुताबिक अगले वर्ष तक ईंट प्रोडक्शन की लीज उनके पास है. अगर पिछले वर्ष की ईंट बिक जाये तो फिर से ईंट भट्ठे में प्रोडक्शन का काम शुरु करेंगे. वरना बकरी पालन ही करना पड़ेगा.