Dumka : बाबा बासुकीनाथ में 18 फरवरी को महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा. करीब एक लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने बाबा पर जलार्पण किया. शाम के समय गाजे-बाजे के साथ शिव बारात निकली. देर रात शिव-पार्वती विवाह अनुष्ठान वैदिक मंत्रोच्चारण कर संपन्न हुआ. डीसी रविशंकर शुक्ला सपत्नीक अनुष्ठान में शामिल हुए. विवाह के बाद रात में गाजे-बाजे के साथ बारात निकली. विवाह अनुष्ठान के समय शहनाईयां बज रही था. शहनाई वादकों को बनारस से आमंत्रित किया गया था. बारात में देवी-देवता और भूत-प्रेत की झांकी थी. रात देर रात तक शहनाईयों की आवाज गूंजती रही. बासुकीनाथ के दर्शनीया, नंदी चौक, सरडीहा, बेलगुमा, बस स्टैंड, शिवगंगा और मंदिर परिसर श्रद्धालुओं से खचाखच भरा था.
मंदिर प्रबंधन ने बताया कि 18 फरवरी की सुबह मंदिर का पट खुलने के बाद से ही श्रद्धालुओं ने जलार्पण शुरू किए जो दिनभर जारी रहा. अपराह्न साढ़े चार बजे से साढ़े पांच बजे तक गर्भगृह में पंचशूल, कलश, ध्वज पूजन के बाद उसे निर्धारित जगह पर स्थापित कर दिया गया. इसके बाद भोलेनाथ और माता पार्वती का गठबंधन कराया गया. मान्यता है कि गठबंधन कराने से विवाह में आई अड़चन दूर होती है. शादीशुदा लोगों के दांपत्य जीवन में आई कड़वाहट दूर हो जाती है.
महाशिवरात्रि को देखते हुए बासुकीनाथ में सुरक्षा की कड़ी व्य्वस्था की गई थी. व्यवस्था की निगरानी डीसी रविशंकर शुक्ला, एसपी अंबर लकड़ा, प्रशिक्षु आईएएस सन्नी राज, बासुकीनाथ मंदिर प्रभारी आशुतोष ओझा, एसडीपीओ शिवेंद्र समेत अन्य अधिकारी खुद कर रहे थे.
माता पार्वती को नहीं चढ़ा सिंदूर
बासुकीनाथ आने वाले श्रद्धालु माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाते हैं. हर वर्ष महाशिवारात्रि के पूर्व तिलकोत्सव के बाद से सिंदूर चढ़ाना बंद कर दिया जाता है. महाशिवरात्रि की रात शिव और पार्वती विवाह अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है. विवाह के वक्त माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाया जाता है. इसके बाद सिंदूर चढ़ाने का रिवाज है. इस वजह से 18 फरवरी को बिना सिंदूर चढ़ाए श्रद्धालुओं ने माता पार्वती की पूजा की. 19 फरवरी से सिंदूर चढ़ाना शुरू हो गया.
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