Praveen Kumar
RANCHI : झारखंड के सिमडेगा जिला में बानो प्रखंड एक सुदूरवर्ती आदिवासी बहुल इलाका है. जब प्रवासी मजदूर कोरोना काल के दौरान गांव लौटने लगे तो मजदूरों के आने से बानो प्रखंड भी चपेट में आया. जिसके इलाज का भार सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बानों पर पड़ा. स्वास्थ्य केन्द्र में एक ही डॉक्टर पदास्थापित हैं..इस स्थिती में भी आदिवासी डॉक्टर घबराए नहीं, अपने हौसले और टीम की मदद से कोविड-19 संक्रमित लोगों का इलाज करते रहे.
डॉक्टर ने कायम किया मिसाल
35 साल के युवा डॉक्टर ने दूसरों के लिए मिसाल कायम किया है. उन्होने असुविधाओं का रोना नहीं रोया और न ही कभी सबकुछ व्यवस्था की नाकमयाबी पर थोपा है. कोविड महामारी के दौरान अकेले दम पर बानो सामुदायिक केंद्र को एक ऐसे अस्पताल में बदल दिया है जहां मरीज आ कर राहत महसूस करते थे.
डॉक्टर सहित 13 कर्मचारी हो चुके है संक्रमित
अस्पातल के स्टोर किपर बताते है कोरोना संक्रमित मरीजो के उपचार करते हुए डॉ. समेत 13 स्टाप कोरोना संक्रमित हुये थे. डा. कमलेश खुद संक्रमित होने के बाद भी खुद एवं अन्य कोरोना संक्रमितों मरीजों का इलाज करते रहे. उस दौरान प्रभारी अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को दिशा निर्देश देते रहे और उपचार जारी रखा था.
आज प्रखंड में मात्र 6 कोरोना संक्रमित
कोरोना संक्रमितों के इलाज के दौरान अस्पताल के 13 कर्मचारी भी कोविड-19 संक्रमित हो गए, खुद अकेला प्रभारी डॉक्टर कमलेश उरांव भी संक्रमण के चपेट में आ गये. उस दौरान भी उन्होने फोन पर ही प्रखंड के सभी मरीजों का उपचार किया. 100 से अधिक कोरोना सक्रमित मरीजों का उपचार अपने देख रेख में कर चुके हैं डा. कमलेश उरांव.
स्वास्थ्य केन्द्र में हर दिन 40 से 50 लोगों का होता हैं कोरोना टेस्ट
डॉक्टर कमलेश बताते हैं टेस्ट मशीन अस्पताल में लगाने के बाद 40 से 50 संभावित कोरोना के लक्षण वाले लोगों का कोरोना वायरस टेस्ट किया जा रहा है.
90 हजार की आबादी पर है मात्र डॉक्टर
बानो समुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में मात्र एक डॉक्टर ही पदास्थापित है. प्रखंड के अन्य पंचायतो में भी स्वास्थ्य उपकेन्द्र है लेकिन वहां डा. नही बैठ पाते. इलाके के दूरदरज इलाके के लोगों को बनो उपचार के लिये पहुचने में भी काफी परेशानी होती है.
बानों में हैं डॉक्टर कमलेश उरांव की पहली पोस्टिंग
कोविड के जंग हौसले के साथ लड़ रहे डा. कमलेश कहते है हमने जमशेदपुर से एमबीबीएस किया है. उनकी यह पहली पोस्टिंग है. अगर सरकार ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं को विस्तार करे तों कई रोगों और बीमारियों का उपचार प्रखंड स्तर पर ही हो जायेगा. जिससे मेडिकल कॉलेजों पर भार नहीं पड़ेगा. डा. कमलेश की पहल का भरपूर सहयोग मिला
स्थानीय ग्रामीणों ने भी की सराहना
कोविड पॉजिटिव से उबरे लोगों के साथ-साथ स्थानीय ग्रामीण भी डा.कमलेश उरांव की कार्य का सराहना कर रहे है. उन्होने पूरी तत्परता के साथ बानो प्रखंड को महामारी के प्रकोप से बचाने की हर मुमकिन कोशिश किया. सिमडेगा जिले के बानो प्रखंड में कोविड के कारण एक भी मौत दर्ज नहीं की गयी .