Ranchi : बिरसा हरित ग्राम योजना की मदद से राज्य के ग्रामीणों इलाकों में आ रही है आर्थिक सबलता. ग्रामीण क्षेत्रों में आम्रपाली, मल्लिका प्रजाति के आम और अमरूद, नींबू, थाई बैर, कटहल, शरीफा, लेमन ग्रास, पल्मारोसा जैसे खुशबूदार पौधे लगाए जा रहे हैं. ये आजीविका का नया माध्यम भी बन रहे हैं. बिरसा हरित ग्राम योजना इसमें सक्रिय भूमिका निभा रही है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मनरेगा अंतर्गत बिरसा हरित ग्राम योजना का शुभारंभ किया था. योजना का रंग अब धीरे-धीरे नजर आने लगा है. आदिवासी, पिछड़ा वर्ग, लघु और सीमांत किसानों को मनरेगा के अंतर्गत न केवल 100 दिनों का रोजगार देने, बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और लंबे समय तक आमदनी होने के लिए परिसंपत्ति निर्माण का प्रयास सफल हो रहा है. यही वजह है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में 24 जिले, 263 प्रखंड, 30023 लाभुक, 25695.3 एकड़ भूमि और 26,41,429 फलदार पौधे झारखंड के गांवों में लहलहा रहे हैं. वित्तीय वर्ष 2020-21 में 30023 लाभुकों को योजना का लाभ मिला, जबकि 2016 से 2020 तक बिरसा हरित ग्राम योजना से पूर्व संचालित योजना से पांच वर्ष में सिर्फ 7741 लाभुकों को लाभ हुआ था.
खुशबूदार, फलदार पौधों के साथ तसर कीट पालन को भी बढ़ावा
योजना के तहत गरीब परिवारों की रैयती जमीन पर मनरेगा के तहत खासतौर से आम, अमरूद, नींबू आदि का उत्पादन किया जा रहा है. गैर-मजरुआ भूमि और सड़क किनारे की भूमि जो ज्यादातर बंजर है, वहां भी पौधरोपण कर उसे हरा-भरा बनाया जा रहा है. गांव के गरीब अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, भूमिहीन आदि परिवारों को मनरेगा प्रावधान के तहत किए गए पौधरोपण को भोगाधिकार के साथ जोड़कर उनके लिए आजीविका के स्थायी स्रोत के निर्माण को बल मिला है. वर्ष 2020-21 तक राज्य के 37764 ग्रामीणों परिवारों के 31667.68 एकड़ निजी जमीन पर लगभग 326800 फलदार वृक्ष और 800000 इमारती पौधे तैयार हो रहे हैं. इसके अतिरिक्त 150 एकड़ भूमि पर तसर कीट-पालन एवं लाह पालन के लिए अर्जुन व सेमिआ लता के पौधे लगाए गए हैं.
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बिरसा हरित ग्राम योजना में पौधों की गुणवत्ता पर भी रखा जाता है ध्यान
सरकार सरकार का मानना है कि इस योजना का लक्ष्य सिर्फ रोजगार, आर्थिक सशक्तिकरण और परिसंपत्ति निर्माण तक ही सिमटा हुआ नहीं है, बल्कि लाभुकों के क्षमता निर्माण से भी है. इस योजना से जुड़े लाभुकों एवं मनरेगा कर्मियों का समय-समय पर क्षमता बढ़ाने के लिए राज्य स्तर पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है. अबतक 45 राज्य स्तरीय प्रशिक्षक, 800 प्रखंड स्तरीय मुख्य प्रशिक्षक और पंचायत/गांव स्तर पर 4840 बागवानी सखी/मित्र को प्रशिक्षित किया गया. इससे लाभुकों की क्षमता में इजाफा हो रहा है.
100 प्रतिशत बागवानी योजनाओं में लगाए गए पौधों की गिनती कराने पर पौधों के जीवित रहने की दर 88 प्रतिशत है. बागवानी संबंधित सामग्री खरीदने के मानक की गंभीरता से निगरानी हो रही है. गुणवत्तापूर्ण पौधों की खरीदारी के लिए राज्य स्तर पर राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड की तरफ से मान्यता प्राप्त नर्सरियों को सूचीबद्ध किया गया है. सूचीबद्ध नर्सरियों से ही जिला द्वारा टेंडर के माध्यम से पौधों को खरीदा जाता है.
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