Ranchi : जमीन घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को कोलकाता के कारोबारी अमित अग्रवाल को पकड़ा है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, ईडी की टीम ने अमित अग्रवाल को सिलीगुड़ी के बागडोगरा से पकड़ा है. अमित अग्रवाल को गुरुवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा. इस मामले में ईडी पूर्व में रांची डीसी छवि रंजन समेत आठ लोगों को जेल भेज चुकी है.
सेना के कब्जे वाली जमीन के दस्तावेज में फर्जीवाड़ा कर बेचने वाले फर्जी रैयत प्रदीप बागची ने जिस जगतबंधु टी इस्टेट को उक्त जमीन की रजिस्ट्री की थी, उस कंपनी में अमित अग्रवाल भी दिलीप घोष के सहयोगी हैं. कंपनी के दिलीप घोष को ईडी ने पहले समन किया था, लेकिन वे नहीं पहुंचे थे.
छवि रंजन मामले से भी कनेक्शन
जमीन घोटाले में पूर्व में गिरफ्तार कर जेल भेजे गए जमीन कारोबारी अफसर खान उर्फ अफ्सू ने ईडी के सामने निलंबित आईएएस छवि रंजन की पोल खोली थी. उसने ईडी को बताया था कि उसके सामने प्रदीप बागची के पक्ष में कागजात तैयार करने के लिए छवि रंजन ने अमित अग्रवाल व प्रेम प्रकाश की उपस्थिति में तत्कालीन बड़गाईं अंचलाधिकारी मनोज कुमार को आदेश दिया था. वर्तमान में अवैध खनन मामले में प्रेम प्रकाश जेल में बंद हैं, जबकि अमित अग्रवाल जमानत पर हैं.
अब तक ये आरोपी हो चुके हैं गिरफ्तार
जमीन घोटाले में ईडी ने रांची के पूर्व उपायुक्त आईएएस छवि रंजन, बड़ागाईं अंचल के राजस्व उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद, सेना के कब्जे वाली जमीन के फर्जी रैयत प्रदीप बागची, जमीन कारोबारी अफसर अली, इम्तियाज खान, तल्हा खान, फैयाज खान व मोहम्मद सद्दाम को गिरफ्तार किया है.
आयुक्त की जांच रिपोर्ट में हो चुका है फर्जीवाड़े का खुलासा
सेना के कब्जे वाली जमीन की खरीद-बिक्री में फर्जीवाड़ा का खुलासा आयुक्त की जांच रिपोर्ट में पहले ही हो चुका है. उक्त रिपोर्ट में यह बात सामने आ चुकी है कि प्रदीप बागची नाम के व्यक्ति ने फर्जी रैयत बनकर जगत बंधु टी इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक दिलीप कुमार घोष को उक्त जमीन बेच डाली थी. जमीन की खरीद-बिक्री के लिए रजिस्ट्री में प्रदीप बागची ने जिस होल्डिंग नंबर से संबंधित दो अलग-अलग कागजातों को लगाया था, वह जांच में फर्जी मिले थे. इसके बाद रांची नगर निगम की ओर से भी बरियातू थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. रांची नगर निगम के कर संग्रहकर्ता दिलीप शर्मा ने नगर आयुक्त के आदेश पर जून में प्रदीप बागची के विरुद्ध जालसाजी के मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि प्रदीप बागची ने फर्जी आधार कार्ड, फर्जी बिजली बिल, फर्जी पजेशन लेटर दिखाकर दो-दो होल्डिंग ले लिया था. आयुक्त की जांच में सेना के कब्जे वाली जमीन का असली रैयत जयंत करनाड मिला था. ईडी ने इस पूरे मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत केस दर्ज कर अनुसंधान शुरू किया था.
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