NewDelhi : मोदी सरकार के आलोचक, पूर्व IAS और एक्टिविस्ट हर्ष मंदर के दिल्ली स्थित आवास और कार्यालय पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छापा मारा है. दिल्ली पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेन्स विंग द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर ED ने आज गुरुवार को यह कार्रवाई की है. हालांकि रेड से तीन घंटे पहले ही हर्ष मंदर और उनकी पत्नी जर्मनी के लिए रवाना हो गये थे. ED की कार्रवाई चिल्ड्रन होम्स में पैसों की गड़बड़ी के मामले में किये जाने की सूचना है.
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मोदी सरकार के आलोचक रहे हैं हर्ष मंदर
हर्ष मंदर मौजूदा सरकार के कटु आलोचक रहे हैं. उन्होंने दिल्ली दंगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केस दाखिल किया था. उन्होंने दंगों की जांच के लिए SIT गठित कराने की मांग की थी. वह यह भी कह चुके हैं कि अगर सिटिजन अमेंडमेंट बिल पास हुआ तो वे खुद को मुस्लिम के तौर पर रजिस्टर करा लेंगे.
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मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कलेक्टर भी रह चुके हैं
जान लें कि हर्ष मंदर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कलेक्टर भी रह चुके हैं.खबरों के अनुसार हर्ष मंदर गुरुवार सुबह तीन बजे बर्लिन के लिए रवाना हो गये थे. सूत्रों के अनुसार हर्ष मंदर बर्लिन की रॉर्बट बोश्च अकादमी में छह महीने की फेलोशिप के लिए गये हैं. इसके लगभग तीन घंटे बाद ED ने उनके वसंत कुंज स्थित घर और सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज में उनके ऑफिस में एक साथ रेड डाली. साथ ही उनके NGO द्वारा चलाये जा रहे दो बालगृहों पर भी रेड डाली गयी.
जानकारी के अनुसार दिल्ली पुलिस ने नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (NCPCR) के निर्देश पर एफआईआर दर्ज की थी. NCPCR के अनुसार दिल्ली के महरौली इलाके में हर्ष मंदर के दो बालगृहों- उम्मीद अमन घर (लड़कों के लिए) और खुशी रेनबो होम (लड़कियों के लिए) में पैसों की गड़बड़ी पायी गयी है.
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हर्ष मंदर 1980 में IAS अफसर बने थे
हर्ष मंदर 1980 में IAS अफसर बने थे इस दौरान उन्हें मध्यप्रदेश और फिर छत्तीसगढ़ में पोस्टिंग मिली. 2002 में गुजरात दंगों के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और NGO में काम करना शुरू किया. बता दें कि वे राइट टू फूड कैंपेन में सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल कमिश्नर के तौर पर भी काम कर चुके हैं और UPA सरकार के दौरान केंद्र सरकार की नेशनल एडवाइजरी काउंसिल के सदस्य रह चुके हैं. वर्तमान में वे नयी दिल्ली के सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज के डायरेक्टर हैं.