Vinit Upadhyay
Ranchi: वर्चुअल मोड़ में चल रही सुनवाई से वकीलों की फीस पर भी असर पड़ रहा है.कई वकीलों की मानें तो इस व्यवस्था में भी लोगों के न्यायिक कार्य तो सुचारु रूप से निष्पादित हो रहे हैं, लेकिन उसके बावजूद क्लाइंट फ़ीस देने के दौरान आनाकानी कर रहे हैं.ऐसे कई उदाहरण हैं. नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर एक अधिवक्ता ने बताया कि वर्चुअल कोर्ट में सुनवाई के दौरान वकीलों द्वारा अपने मुवक्किल के लिए कोर्ट में की जाने वाली बहस और जिरह से कुछ फरियादी अनभिज्ञ रहते हैं और उन्हें लगता है कि उनके मामले की सुनवाई के दौरान उनके वकील ने अदालत के समक्ष उनके लिए बेहतर तरीके से बहस नहीं की. ऐसी परिस्थिति में अदालत का फैसला अगर उनके क्लाइंट के पक्ष में नहीं आता तो मुवक्किल फ़ीस देते वक़्त काफी आना कानी करते हैं.
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फ़ीस थोड़ी कम लेकर ही केस लड़िये
कई क्लाइंट तो वकील साहब से फ़ीस कम करवाने के लिए इतना तक कह रहे हैं कि वीसी के जरिये सुनवाई के लिए आपको ज्यादा मेहनत नहीं करनी होगी. इसलिए फ़ीस थोड़ी कम लेकर ही केस लड़िये. झारखंड में फ़िलहाल प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले वकीलों के लिए न्यूनतम फ़ीस निर्धारित नहीं की गयी है. इसलिए कई मौकों पर फ़ीस के लिए मुवक्किलों के साथ वकीलों को झिकझिक भी करनी पड़ती है. कोरोना काल में इस तरह के मामले ज्यादा हो रहे हैं. वहीं कुछ वकीलों का कहना है कि वर्चुअल कोर्ट में अधिवक्ताओं के पास यह विकल्प है कि वो घर बैठे किसी भी कोर्ट में उपस्थित होकर सुनवाई में शामिल हो सकते हैं. इसलिए कुछ वकीलों ने अपनी फ़ीस थोड़ी कम कर दी है और उन्हीं वकीलों का उदाहरण देकर बाकि के क्लाइंट भी फ़ीस कम देने की पेशकश करते हैं जिसका खामियाजा बाकि के वकीलों को उठाना पड़ रहा है.
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