Ranchi : विधानसभा के विशेष सत्र में सरना धर्म कोड पर चर्चा के दौरान सीएम हेमंत सोरेन ने इशारों-इशारों में कई बातें कही. उन्होंने ट्राइबल एडवायजरी कमेटी (टीएसी) का गठन नहीं होने पर संवैधानिक बाध्यता की ओर इशारा किया, तो बड़ी मछली के छोटी मछली को खाने की बात कर आदिवासी समुदाय को विलुप्त करने के षडयंत्र का जिक्र किया. इधर बीजेपी ने कहा है कि 1961 में जिन्होंने सरना कोड हटाया था, वे आज घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं.
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सभी को साथ लेकर चलने का प्रयास
सरना धर्म कोड पर चर्चा के दौरान विधानसभा सदस्यों द्वारा बात रखने के बाद सीएम ने सरकार का पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार लाठी-डंडे के बल पर काम करना नहीं चाहती है. सभी को साथ लेकर चलना चाहती है. यह सही है कि सरना धर्म कोड के मुद्दे पर गहन चर्चा होनी चाहिए. इस पर टीएसी में चर्चा होनी चाहिए थी. पर टीएसी का तकनीकी कारणों से गठन नहीं हो पाया. इसे राज्यपाल ने सरकार के पास वापस भेज दिया है. सीएम ने कहा कि इस पर ज्यादा कुछ टिप्पणी नहीं करूंगा. सरकार अपना पक्ष रख कर जल्द ही टीएसी के गठन का प्रस्ताव राज्यपाल को फिर भेजेगी. सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि देश में एक षड्यंत्र के तहत आदिवासियों को समाप्त करने का प्रयास लंबे समय से चल रहा है. इसके पीछे कौन लोग हैं, उनकी क्या मंशा है, यह सभी जानते हैं. सीएम ने कहा कि सरना धर्म कोड के मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. सदस्यों ने जो संशोधन की बात कही है, उसे हम स्वीकार करते हैं. संशोधन के साथ प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा.
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बीजेपी ने कांग्रेस पर साधा निशाना
बीजेपी ने सरना धर्म कोड को जनगणना कॉलम से हटाने के लिए कांग्रेस पर निशाना साधा. विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि 1961 में केंद्र में किसकी सरकार थी, यह बताने की जरूरत नहीं है. उसी समय में सरना धर्म कोड को हटाया गया था. 2013 में सांसद सुदर्शन भगत ने लोकसभा में इस मुद्दे को उठाया था, लेकिन केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सरना धर्म कोड शामिल करने से मना कर दिया. इस मामले पर कांग्रेस सदस्यों को कुछ बोलने का अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि वे घड़ियाली आंसू नहीं बहाएं. वहीं विधायक सीपी सिंह ने कहा कि सीएम हेमंत सोरेन को बताना चाहिए की जिन्होंने 1961 में सरना धर्म कोड का कॉलम हटाया, उनके साथ सत्ता में गलबहियां करना कितना उचित है.
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