Sanjay Singh
पलामू में भले सूखा पड़ता हो, लेकिन उहां की धरतिया राजनीतिक रूप से ढेरे ऊपजाऊ शुरुए से रहल है. भले चेट में पाई न हो, पेटवा में अन्न दे दाना न हो, लेकिन ईहां के लोगन के राजनीति में खासा इंटरेस्ट है. राजनीति की गजबे फरटाइल धरतिया है ई. ईहां के धरतिया के बहरियो से ढेरे प्रेम भइल रहता है. अब देखिए न, एगो कोल्हान ब्रांड तीर-धनुषधारी पलामू के धरती के अईसन धर लीहिन कि पूछिए मत. ईहां की जनता ने ठाकुर साहिब के खूबे खातिदरदारी की हिन. ईहां की धरतिया, ईहें के जन्मल पुत्तर, राजा-रजवाड़ा वालन के भी धूल चटाईके के बहरिया के अईसन गले लगा लीहिन की पूछिए मत. पलामूए में एगो राजघराना वाला जिला भी है. उहां दुगो विधानसभा क्षेत्र है. दुनो् क्षेत्रवा में राजघराना के लाडला दुलारा लोगन का वर्चस्व रहल करता था. लेकिन पलामूआइट्स के बहरिइनों यानी दूसर जगहिया वाला लोगन से भी ढेरे प्रेम होवइत रहल है. अब देखिए न जहां राजघराना के लाडला लोगन हावी रहता था, ऊ लोगन की चलती चला करती थी, ऊहे लोग के धसोड़ के ईहां की जनता ने किनारा धरा दीहिस….आउर ऊहां से एगो कोल्हान ब्रांड ठाकुर साहिब तीर-धनुषधारी बन निशाना साधे में सफल रहे. पांच बरिस तक खूबे हाफ-डीप कईले रहे. मंत्रियों पद के मजा मारइत रहे. अभहियों मजा मारिए रहीन हैं. अब जब चुनाउवा सिर पर आईल है, तो फिरो से निशाना साधे लगी अफनाइल हैं. फील्डवा तो छोड़िए न रहिन हैं.
पांच बरिस वइसे तो खूबे मजा मार लीहिन, लेकिन मजा ब्रांड नशा अईसन चढ़ गईस कि पूछिए मत. फिरो ऊहे ब्रांड नशा लगी हांफले हैं. मंत्री हैं, तो तनिका ठस्सा हइए है, लेकिन इनके लग्गू-भग्गू लोगन तनि इनकर इमेजवा खराब कर दीहिन हैं. लग्गू-भग्गूवन के चलते ही ई ठाकुर साहिब के अबकी तनिका ज्यादा छिछाए पड़ रहिस है. ली लोग बाग से तो अईसन मिल रहीन हैं कि पूछिए मत, जईसे सबे इनकर गोतिया-नइया है. लेकिन फील्ड की जनतवा लगईत है कि तनिका इनका से ज्यादा ही रिसियाईल है. ठाकुर साहिब के बुझा गईल है कि अब खाली ठकुरई से न चलेवाला है. खाली बतकही से काम न होवेवाला है. कोई बता दीहिस है ठाकुर साहिब के अब समय तनिका कम है. कहियो आचार संहिता लग सकइत है. तो लोगबाग के लक्ष्मी दर्शन भी करावल जरुरिए है.
जनता-जनार्दन के कुछ लक फुसलावे ही पड़ेगा. ठाकुर साहिब के पांच साल में ई तो अच्छी तरह से बुझा गईल है कि ई पलामू है रे भाई, ईहां आंख बंद और डब्बा गायब होते तनिको देरी न लगता है.
वइसे कोल्हान ब्रांड वाले नेताजी के उनके लग्गू-भग्गू लोगन चढ़ाईले रहीस है. लेकिन साहिब के बुझा गईल है कि ई लग्गू-भग्गू के चक्कर में ढेरे रहे, तो काम से गिये. इसीलिए तनका इनका ज्यादा छिछियावे पड़ रहीस है. अब देखिए न..ई साहिब राज्य के राजाजी के भी दुलरुवा हैं. लेकिन जमीनवा में तनिका गुस्सा वाला भंकपवे के अहसास होते ही घबराईल हैं. अभी हाल में एगो यात्रा शुरू हुई, तो इनके इलाके से ही शुरुआत हुई है. एकरा से तनिका नेताजी के संजीवनी मिलल टाइप लग रहीस है. लेकिन सच्चाई ईहे है कि साहिब तनिका ज्यादा हांफले हैं. उनका बुझाए लगल है कि ज्यादा हवाबाजी न चलेवाला है. अबहिएं से जनता के जनार्दन बोलइत, तनिका ज्यादा फुसलावे पड़ेगा.
वईसे साहिबान के लोग ईहे सालह दे दीहिस की साथे-साथे तनिता लक्ष्मी दर्शन भी करावे पड़ेगा, तभिए राह तनिका आसान हो सकेगा. लेकिन साहिब के हांफले देख के उनकर विरोधी लोगन भी मजा मार रहल है. लोग बाग के उकसा रहल है. नेताजी के मस्ती ब्रांड नशा के बारे में भी लोग के बीच फिड़काबाजी कईले है. वईसे ठाकुर साहिब के टक्कर देवे ला तो ढेरे लोग तड़पड़ाईल है, लेकिन सबसे अहम बात तो ई हो कि टिकटवा मिले तब न. वईसे ई बात के ढेरे चर्चा हो रहीस है कि अबकी साहिब के ठीके-ठाके टक्कर मिलेगा. आगे क्या होता है, ई तो भविष्य के गर्त में छुपल है, लेकिन यक्ष प्रश्न तो हईए है कि ठाकुर साहिब की ठकुराई फिर चलेगी कि साहिब हबकुनिए फेंकाएंगे.
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