Ranchi: राज्य में डायन-बिसाही और अंधविश्वास में हत्या की घटनायें बढ़ रही हैं. जादू टोना, अंधविश्वास और डायन-बिसाही के शक में हत्या और प्रताड़ना के मामले रुकने का नाम नहीं ले रही हैं. झारखंड में डायन के नाम पर हर 10वें दिन एक हत्या हो रही है. पिछले छह वर्षो की बात करे तो पूरे राज्य में डायन के नाम पर 223 लोगों की हत्या कर दी गयी है.
6 वर्षो में डायन-बिसाही के आरोप में 223 की हत्या
झारखंड में पिछले छह वर्षो में डायन-बिसाही के आरोप में 223 लोगों की हत्या हो चुकि है. वर्ष 2015 में 51, 2016 44, 2017 में 45, 2018 में 30, 2019 में 34 और वर्ष 2020 के सितंबर महीने तक 19 हत्याएं हो चुकि हैं. वर्ष 2000 से पहले राज्य के के कई इलाकों में डायन के नाम पर 522 लोगों की निर्मम हत्या की गयी थी. लेकिन झारखंड गठन के बाद डायन के नाम पर होने वाली हत्याओं की संख्या में काफी इजाफा हो गया है.
अधिनियम बनने के बाद भी घटनाओं में नहीं आयी कमी
डायन के नाम पर महिलाओं और औरतों मारने और उसके परिवार को प्रताड़ित करने की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है. हद तो तब हो जाती है, जब डायन बताकर महिला को मल-मूत्र तक पिलाया जाता है, निर्वस्त्र कर उसका सामूहिक रेप किया जाता है. सर मुंडवाकर मुंह काला कर गांव में घूमाया जाता है. कई बार तो गांव से निकाल भी दिया जाता है. इस सामाजिक कुरीति को खत्म करने के लिए राज्य में डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम 2001 बनाया गया. इसके बावजूद ऐसी घटनाओं में कमी नहीं आ रही है.
इन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा मामले
डायन बिसाही के नाम पर राज्य के रांची, खूंटी, सरायकेला,गुमला, देवघर, लोहरदगा और लातेहार जिलों में सबसे ज्यादा महिलायें इस अंधविश्वास की शिकार हुयी हैं. सरायकेला के डुमरा गांव में विधवा और बुजुर्ग महिलाओं को डायन-बिसाही के नाम पर प्रताड़ित करना आम बात है. वहां आधी रात को ग्रामीण ढोल नगाड़ों के साथ महिलाओं को डायन के नाम पर अंधविश्वास का गंदा खेल खेलते हैं.