Ranchi: ब्लड शुल्क को लेकर उठे विवाद के बीच स्वास्थ, चिकित्सा एवं परिवार कल्याण विभाग ने इसपर सफाई दी है. विभाग की ओर से कहा गया है कि पिछले छह महीने से झारखंड में प्रतिदिन लगभग 900 यूनिट रक्त (रक्त) रक्तदान के माध्यम से राज्य को मिल रहा है. राज्य आम लोगों को सरल एवं सुगम तरीके से जरूरत के वक्त रक्त की आपूर्ति करने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक संकल्प जारी किया गया. संकल्प के माध्यम से राज्य के निजी और सरकारी अस्पताल में इलाजरत गरीब एवं जरूरतमंद मरीजों को जरूरत पड़ने पर इकाई रक्त सरकारी अस्पताल के ब्लड बैंक के माध्यम से मुफ्त दिया जाएगा.
कालाबाजारी पर रोक लगाने की कवायद
विभाग की ओर से कहा गया है कि ब्लड को लेकर जो कालाबाजारी चल रही है, उस पर अंकुश लगाने की कार्रवाई की जा रही है. ताकि ब्लड बैंक के माध्यम से जरूरतमंदों रक्त प्रदान किया जा सके. कुछ लोग इस संकल्प का हवाला देकर सोशल मीडिया पर गलत ढंग से प्रस्तुत कर रहे हैं. सरकार की छवि खराब करने के उद्देश्य इस संकल्प को गलत ढंग से संचार के कई माध्यमों से प्रस्तुत करते हुए आम लोगों को दिग्भ्रमित कर रहे हैं. आम लोगों से अपील है कि इस तरह की अफवाहों पर ध्यान ना दें. सरकार का उद्देश्य है कि आम नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें. स्वैच्छिक रक्तदान के लिए लोग हेल्पलाइन नंबर 104 पर संपर्क कर सकते हैं.
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क्या है विवाद की वजह
स्वास्थ्य, चिकित्सा एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा रक्त संबंधित संकल्प पत्र जारी करने के बाद रक्तदान शिविर का आयोजन करने वाले एनजीओ और विभाग आमने-सामने आ गए हैं. एक ओर रक्तदान का आयोजन कराने वाले एनजीओ और सामाजिक संगठन के लोगों ने सरकार के इस निर्णय पर नाराजगी जताई है. कनेक्टिंग होप्स के रंजन कुमार ने कहा कि जिनका इलाज निजी अस्पताल में हो रहा है उन्हें आयुष्मान कार्ड योजना से तो खून मिल जाएगा, लेकिन जिनके पास आयुष्मान कार्ड नहीं है और वे निजी अस्पताल में इलाज करा रहे हैं तो उन्हें सरकारी ब्लड बैंक से खून लेने के लिए अस्पताल से लिखवा कर देना होगा. यदि अस्पताल लिखकर नहीं देता है तो मरीज के परिजन को खून के लिए 1050 रुपए चुकाने पड़ेंगे.
हालांकि रिम्स के द्वारा जारी पत्र में नॉन गर्वमेंट अस्पताल के लिए 1050 रूपये लेने का जिक्र किया गया है. इसमें बीमा से जुड़ी कोई जानकारी नहीं है. ऐसे में मरीजों में संशय की स्थिति है. जिस कारण बीमित और बिना बीमा सभी मरीजों से पैसे लिए जा रहे हैं. क्योंकि अबतक कोई अस्पताल बीमित होने या नहीं होने की जानकारी नहीं दे रहा है.
ब्लड के एवज में चुकाने होंगे 1050 रुपये
वहीं रिम्स ब्लड बैंक के द्वारा रिम्स निदेशक को एक पत्र लिखा गया है कि स्वास्थ्य, चिकित्सा, शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव के पत्रांक 37 (4) के आदेश अनुसार, निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को ब्लड एवं ब्लड कंपोनेंट के लिए प्रोसेसिंग फीस चुकाने होंगे. होल ब्लड के लिए 1050 प्रति यूनिट, पैक्ड रेड सेल्स के लिए 1050 प्रति यूनिट, फ्रेश फ्रोजन प्लाज्मा के लिए 300 प्रति यूनिट, प्लेटलेट कंसंट्रेट 300 प्रति यूनिट और क्रायोप्रेसीपिटेट (cryoprecipitate) के लिए 200 रुपए प्रति यूनिट देना होगा.