SHAILESH SINGH
Kiriburu : भाकपा माओवादी नक्सली संगठन का थिंक टैंक सह पोलित ब्यूरो (केन्द्रीय कमिटी) सदस्य एक करोड़ रुपये के इनामी लगभग 95 वर्षीय प्रशांत बोस उर्फ किशन दा एवं उसकी पत्नी शीला मरांडी की चांडिल क्षेत्र से गिरफ्तारी की खबर से नक्सली संगठन भाकपा माओवादी को बडा़ झटका लगा है. हालांकि प्रशांत बोस लंबे समय से बीमार व वृद्ध होने की वजह से जीवन के आखिरी पडा़व पर हैं जिसे उनके नक्सली साथी डोली या अन्य सहारे से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते थे. प्रशांत बोस नक्सलबाडी़ आंदोलन व नक्सलवाद के जन्म में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी. तब से लेकर अब तक वे नक्सलवाद की लडा़ई में शामिल थे. बाद के दिनों में उन्हें एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाए जाने के लिए नक्सली पालकी का उपायोग करते थे.
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सारंडा में सुरक्षा की जिम्मेदारी कुख्यात नक्सली करमचंद पर होती
प्रशांत बोस पिछले 5 दशक से झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र आदि राज्यों में संगठन विस्तार, पुलिस पर बड़े हमले और अमानवीय घटनाओं में शामिल रहे हैं. प्रशांत बोस को माओवादियों ने पिछले एक दशक से झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिला का सबसे सुरक्षित माना जाने वाला सारंडा, कोल्हान एवं पोड़ाहाट के जंगलों में स्थान बदल-बदल कर अपने सुरक्षित ठिकाने पर रखा था. सारंडा में प्रशांत बोस की सुरक्षा की जिम्मेदारी कुख्यात नक्सली चमन उर्फ लंबू उर्फ करमचंद के हाथों में थी.
पारसनाथ था शुरुआती ठिकाना, धनबाद के टुंडी की नक्सली शीला मरांडी से की शादी
सारंडा से पहले प्रशांत बोस गिरिडीह के पारसनाथ जंगल में था. उसने धनबाद जिले के टुंडी स्थित नावाटांड़ गांव की नक्सली शीला मरांडी से शादी की थी. प्रशांत की पत्नी शीला मरांडी भी केन्द्रीय कमिटी सदस्य थी जिसे लगभग डेढ़ दशक पूर्व पुलिस ने ओड़िशा से गिरफ्तार किया था. राज्य सरकार ने नक्सली नेता प्रशांत बोस, केन्द्रीय कमिटी सदस्य मिसिर बेसरा, अनल दा उर्फ पतिराम माझी पर एक-एक करोड़, चमन उर्फ कर्मचन्द हांसदा पर 25 लाख का इनाम घोषित किया है. प्रशांत बोस का सुरक्षा घेरा पांच स्तरीय अत्याधुनिक हथियारों से लैस नक्सली चमन उर्फ लंबू के नेतृत्व में किया करते थे तथा जहां वह रहता था. उसके पांच किलोमीटर परिधि क्षेत्र को लैंड माईन से पाट दिया जाता था ताकि पुलिस लंबी लडा़ई के बाद भी उस तक पहुंच नहीं सके.
2018 में दो दिन तक चले मुठभेड़ में बच निकले किशन दा
झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिला अंतर्गत सारंडा एंव कोल्हान सीमावर्ती रिजर्व वन क्षेत्र के जंगल में अप्रैल 2018 में प्रशांत बोस समेत तमाम बडे़ नक्सलियों को घेरने हेतु सीआरपीएफ, कोबरा, झारखंड पुलिस आदि अन्य टीम द्वारा बडा़ आपरेशन चलाया गया था जिसमें पुलिस व नक्सलियों के बीच गोईलकेरा थाना क्षेत्र के बोरोई पहाड़ी पर आमने-सामने घंटों चले मुठभेड़ में प्रशांत बोस व तमाम बडे़ नक्सली अपना स्थायी कैंप छोड़ भाग निकलने में सफल रहे थे. इस मुठभेड़ के दौरान पोलित ब्यूरो एवं सीसी (सेन्ट्रल कमिटी) सदस्य प्रशांत बोस उर्फ किशन दा, मिसिर बेसरा उर्फ सुनिर्मल उर्फ भाष्कर, सुधाकरण, विवेक दा, अनल दा, मोछू, चमन, जीवन कन्डुलना, महाराज प्रमाणिक, संदीप यादव, कान्डे, सुरेश मुंडा, अमित मुंडा, सलुका कायम समेत लगभग सौ अज्ञात महिला एंव पुरुष नक्सली शामिल थे, जिनके विरुद्ध गोईलकेरा थाना में पुलिस दल पर हत्या की नीयत से अत्याधुनिक हथियार से गोली, बम, लैंड माईन विस्फोट कर जवानों को घायल करना, सरकार के विरुद्ध युद्ध छेड़ना, पूरे इलाके में दहशत का माहौल पैदा करना, लेवी लेना, देश व राज्य विरोधी नारे लगाना, देश का कानून नहीं मानने आदि मामलों को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई थी. प्राथमिकी में इस बात का जिक्र भी किया गया है कि कैसे नक्सली किशन दा को वहां से सुरक्षित निकालने में कामयाब रहे.
आईडी ब्लास्ट कर प्रशांत बोस को निकालने में सफल रहे नक्सली
प्राथमिकी के अनुसार कहा गया था कि कोबरा 203 बटालियन की चार टीम 13 अप्रैल को गोईलकेरा पहुंची, जहां से पूर्व निर्धारित लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए रात्रि दो बजे आराहासा पहुंची. यहां से कोबरा की चार टीमों को दो ग्रुप में बांट अलग-अलग दिशा में लक्ष्य की ओर बढे़. 14 अप्रैल को बोरोई गांव के समीप दिन भर जंगल में सर्च अभियान चलाया गया तथा रात होने पर चारों टीम बोरोई जंगल में हीं लूप लेकर बैठ गये. 15 अप्रैल की सुबह लगभग छः बजे चारों टीम बोरोई की पहाड़ी सर्च कर आगे बढ़ रही थी तभी सामने की पहाड़ी से नक्सली हम पर अंधाधुंध फायर व आईडी विस्फोट करने लगे. वे अपने साथियों को बोल रहे थे कि सारा हथियार लूट लो. पुलिस ने भी आत्मरक्षार्थ गोली व मोर्टार से हमला किया जिससे घबराकर नक्सली पीछे हटे तथा शाम पांच बजे गोलीबारी बंद होने के बाद नक्सलियों की घेराबंदी कर बोरोई पहाड़ पर रात में लूप लिया गया और उच्च अधिकारीयों से पुलिस बल की और मांग की गई. 16 अप्रैल को कोबरा 209 बटालियन की दो टीम हमारे पास पहुंची एंव हम सभी जवानों के साथ बढ़ते हुए नक्सलियों की स्थायी कैंप की तरफ बढ़ रहे थे कि अचानक नक्सली मिसिर बेसरा ने अपने साथियों से पुलिस को आगे बढ़ने नहीं देने की आवाज लगाई. जिस पर अनल दा ने कहा कि मिसिर दा आप चिंता नहीं करें एवं किसी प्रकार प्रशांत बोस को घेरा बनाकर सुरक्षित बचाकर रखें. मिसिर बेसरा ने जोर से आवाज देकर मोछू, विवेक, संदीप यादव, चमन को कहा कि तुम लोग बायें तरफ से और आगे से मोर्चा संभाल पुलिस की घेराबंदी करो तथा मिसिर दा ने जिवन कन्डुलना, महाराज प्रमाणिक, सुरेश दा को कहा कि तुम सब पुलिस पर एलएमजी से फायर कर तथा आईडी ब्लास्ट करो. अंततः आत्मरक्षार्थ पुलिस वाले भी जबाबी फायर झोंकते, मोर्टार एंव एचई बम दागे जिसके बाद नक्सली इधर-उधर भागते हुए गोलीबारी बंद की. जिसके बाद कोबरा व पुलिस के जवान नक्सली कैंप की ओर बढ़ने लगे तभी मिसिर बेसरा और सुधाकरन ने जिवन कन्डुलना और महाराज प्रमाणिक को आवाज लगाई की गोली चलाओ और आईडी ब्लास्ट करो. इसके तुरंत बाद एक शक्तिशाली आईडी नक्सलियों ने ब्लास्ट किया जिसके जबाब में पुलिस ने भी फायर झोंकते हुए मोर्टार व एचई बम दागे जिसके बाद कैंप छोड़ नक्सली भागे जहां नक्सलियों द्वारा लगाया गया सौ के करीब आईडी बम खोज निकाला गया, उसे नष्ट कर कैंप से भारी तादाद में सामान बरामद किया गया.
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