Ranchi : देश में जलवायु परिवर्तन के बढ़ते संकट को रोकने के लिए विजन 2070 के नेट-जीरो लक्ष्य को प्राप्त करने को लेकर विश्वस्तर पर काम चल रहा है. झारखंड में सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन टास्क फोर्स अहम भूमिका निभा रहा है. देश का पहला ऐसा राज्य झारखंड है, जहां नवंबर 2022 से टास्क फोर्स गठन के बाद से सक्रिय है. रांची में इसी के तहत 14-15 फरवरी को अंतराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन होगा. इस दो दिवसीय सेमिनार में 30 देशों से एक्सपर्ट शामिल होंगे. वहीं 60 से ज्यादा वक्ता, 300 प्रतिनिधि, केंद्र व राज्य सरकार के पदाधिकारी शामिल होंगे.
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नए अर्थव्यवस्था की रूपरेखा तय करने में सहयोगी साबित होगा कार्यशाला
अंतराष्ट्रीय कार्यशाला में कार्बन उत्सर्जन के चैलेंज को कम करने और ऐसे में अर्थव्यवस्था के नए स्वरूप विषय पर अतिथि अपने सुझाव रखेंगे. कार्यशाला का आयोजन होटल रेडिसन ब्लू में होगा. इस संबंध में सोमवार को सीड्स के सीईओ (फाउंडर डायरेक्टर) रमापति कुमार ने पत्रकारों का जानकारी दी. उन्होंने बताया कि आने वाले समय में कार्बन उर्त्सजन को कम करना है. इसी उद्देश्य को लेकर प्रदेश में सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन टास्क फोर्स काम कर रहा है. प्रदेश में 60 प्रतिशत क्षेत्र कोयला आधारित इकोनॉमी और कारोबार पर निर्भर है. प्रदेश में भी जलवायु परिवर्तन का प्रभाव झारखंड में भी देखने को मिल रहा. ऐसे में कार्बन उत्सर्जन कम या समाप्त करने के उद्देश्य को लेकर नए अर्थव्यवस्था के रूपरेखा को तय करना जरूरी हो गया है. इस कार्यशाला में भावी अर्थव्यवस्था पर अपने-अपने क्षेत्र के एक्सपर्ट विचार रखेंगे. कार्यशाला में यूपी, ओडिशा, बिहार, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों के अलावा सरकार के वरीय पदाधिकरी शामिल होंगे.
कार्यशाला भविष्य के लिए रोड मैप तैयार करने वाला होगा : रस्तोगी
सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन टास्क फोर्स के चेयरपर्सन एके रस्तोगी ने बताया कि इस कार्यशाला पर देश दुनिया की नजर है. तभी लोग लगातार कार्यशाला के जिए रजिस्ट्रेशन करा रहे थे, रजिस्ट्रेशन बंद करना पड़ा. देश में पहली बार इस विषय पर अंतराष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित हो रहा है. जिसमें जापान, साउथ अफ्रीका, साउथ कोरिया सहित दुनियाभर के 30 देशों के 300 डेलीगेट्स अनुभव साझा करेंगे. क्लिन एनर्जी, एनर्जी सेविंग के साथ कैसे सब आगे बढ़ेंगे, कार्यशाला के माध्यम से एक्सपर्ट इसपर चर्चा करेंगे. कोयला है, तो झारखंड है. ऐसे में कोयला समाप्त हो जाएगा, तो हम कैसे आगे बढ़ेंगे. नये तरह से छोटी- बड़ी इंडस्ट्री कैसे काम करेगी? रेवेन्यू कहां से आएंगे? रोजगार कैसे मिलेगा? इन सवालों के जवाब एक्सपर्ट अपने अनुभव के आधार पर रखेंगे. विश्वस्तर पर इस कार्यशाला का प्रभाव भविष्य में देखने को मिलेगा. उन्होंने बताया कि टिकाऊ ऊर्जा स्रोतों में परिवर्तन न केवल एक पर्यावरण और जलवायु अनिवार्यता है, बल्कि आर्थिक विकास और सामाजिक समानता को बढ़ावा देने का भी अवसर है.
सम्मेलन का उद्देश्य
सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य न्यायसंगत और समानता के सिद्धांत के आधार पर जलवायु लचीले विकास और टिकाऊ ऊर्जा संक्रमण को बढ़ावा देने के लिए सीखों का आदान-प्रदान करना है. इसका उद्देश्य नीति-निर्माताओं से लेकर रूपरेखा तैयार करने वाले उद्योग जगत के नेताओं, जो अपने भीतर नवाचार करते हैं, उन समुदायों और व्यक्तियों से विविध प्रकार के दृष्टिकोण और सीख को एक साथ लाना है जो इन व्यापक परिवर्तनों से प्रभावित होते हैं.
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