- फंड की कमी से कर्मियों के आवास निर्माण का काम रुका
- बकाया बढ़ने से निजी अस्पताल ने लौट रहे मरीज
- सफर के दौरान कर्मचारियों को मिलने वाले फ्री पास का कोटा भी घटा
Ranchi : कोरोना काल और लॉकडाउन के कारण रेलमंडल के पास फंड नहीं है. इस कारण रेल मंडल कई तरह की कटौती कर रहा है. इस कारण रेलकर्मियों को दी जाने वाली सुविधाओं में कटौती की जा रही है. वे कल्याण के कई कार्य से वंचित हो रहे हैं. उन्हें मूलभूत जरूरत की सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं. आवास से लेकर अन्य सभी जनकल्याण के कार्य रुक गए हैं. फंड में रुपए नहीं होने के कारण हटिया में कर्मचारियों के लिए बन रहे आवास का निर्माण कार्य ठप है. यहां 94 क्वार्टरों का एक बड़ा यूनिट बनाने का काम शुरू किया गया है.
रांची रेलवे कॉलोनी में भी 32-32 क्वार्टरों का दो यूनिट का निर्माण हो रहा है. कुछ दिन पहले इसका कार्य फिर से शुरु हुआ है, लेकिन कार्य की गति काफी धीमी गति से चल रही है.
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दो साल पहले आवास बनना शुरू हुआ था
रांची रेल कॉलोनी में दो वर्ष पहले अतिक्रमण हटाने के अभियान के साथ ही रेलवे के जर्जर आवासों से कर्मियों का हटा कर तोड़ दिया गया था. उसके बाद ही उनके लिए आवास बनाने की योजना शुरू हुई. रेल मंडल हटिया और रांची में अपने सैकड़ो कर्मचारियों के लिए ( जी प्लस 8 ) मल्टी स्टोरिज बिल्डिंग बनवाने के कार्य भी शुरु किया था. अधिकांश कर्मचारी किराए के घरों मे रह रहे हैं, लेकिन उनका आवासीय भत्ता भी समय से नहीं मिल रहा है.
अच्छे अस्पतालों में इलाज की सुविधा भी नहीं मिल पा रही है. रेलवे के अपने अस्पताल में संसाधनों का अभाव है. यहां से इलाज के लिए रेलवे के मरीजों को बड़े और निजी अस्पतालों में भेजा जाता है. बकाया राशि बढ़ जाने के कारण मेडिका ने अब मरीजों को लेना बंद कर दिया है. अन्य निजी अस्पतालों में भी बकाए की राशि बढ़ने से इलाज में कठिनाई हो रही है.
ट्रेन में सफर के लिए भी पास डिग्रेड किया गया
इसके अलावा रेल कर्मचारियों को ट्रेनों में सफर करने को लेकर निर्गत पास श्रेणियों को कमतर कर दी गई है. कर्मचारियों के अनुसार सफर करने वाले फ्री पास का डिग्रेड कर दिया है. साथ ही स्पेशल ट्रेनों में ग्रीन कार्ड धारक अधिकारी को सेकेंड एसी में पूरे परिवार की जगह केवल एक सीट दी जा रही है. उसे थर्ड श्रेणी में भी सभी सीट नहीं दी जा रही हैं.
रेल मंडल के अंतर्गत करीब सात हजार कर्मी हैं. इसमें केवल रांची-हटिया और आस-पास के कर्मियों की संख्या चार हजार के करीब है. राजधानी होने और रेल मंडलीय हेडक्वार्टर होने के बावजूद अधिकांश रेल कर्मियों को आवासीय सुविधा उपलब्ध नहीं हैं.
दपू रेलवे मेंस कांग्रेस के समन्वयक नित्यलाल ने बताया कि कोरोना और लॉकडाउन के दौरान रेल कर्मियों ने कोरोना योद्धा के तौर पर कार्य किया. लेकिन रेलवे अपने ही कर्मचारियों को हासिए पर रख कर उसे नाराज कर रही है. संगठन ने मंडल से लेकर मुख्यालय तक रेलकर्मियों की समस्याओं से अवगत करा चुकी है. जल्द ही मांगों को लेकर संगठन आंदोलन की रणनीति बनाएगी.
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