Ranchi : रांची में जमीन खरीदनी है, तो एनआईसी (National Informatics Centre) के अधिकारियों से मिलिये. अगर आपका म्यूटेशन आवेदन रद्द भी हो गया है, तो भी आपकी समस्या का हल एनआईसी कर सकता है. जी हां, रांची में कुछ ऐसा ही खेल चल रहा है. यहां जमीन की हेराफेरी का खेल चरम पर है और इसमें एनआईसी भूमिका भी सामने आ रही है. इस खेल में अधिकारियों से लेकर कई लोगों पर आरोप जुड़ते चले जा रहे हैं. जमीन माफिया से मोटी रकम लेकर कागज की हेराफेरी का खेल चल रहा है. ऐसा ही एक मामला नामकुम अंचल में समाने आया है. नामकुम अंचल के उलातू मौजा की 2.29 एकड़ जमीन बिना अंचल कार्यालय की ओर से नामांतरण प्रकिया पूरा किये बिना महिलौंग बड़काटोली निवासी धर्मेंद्र बक्सी, कांके निवासी शिव प्रकाश सिंह और बरगावां नामकुम निवासी रघु गोप के नाम पर म्यूटेशन कर दिया गया. जांच के बाद नामकुम अंचल की ओर से प्राथमिकी दर्ज करायी गयी. यह भूमि खतियानी रैयत शिबू बड़ाईक वगैरह के नाम पर दर्ज था.
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नामकुम थाने में दर्ज करायी गयी प्राथमिकी
उलातू मौजा की 2.29 एकड़ जमीन के फर्जीवाड़े में नामकुम अंचल निरीक्षक रुद्र प्रताप साहू ने महिलौंग बड़काटोली निवासी धर्मेंद्र बक्सी (पिता दिवंगत रुपनाथ बक्शी), कांके निवासी शिव प्रकाश सिंह पिता राम बबन सिंह और बरगावां नामकुम निवासी रघु गोप पर नामकुम थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी है. प्राथमिकी में बताया कि उलातू मौजा की खाता संख्या 432 ,प्लॉट संख्या 1990 की 2.29 एकड़ जमीन शिबू बड़ाईक वगैरह के नाम से दर्ज है. शिबू बड़ाईक का 1963 से जमाबंदी कायम है और दखल कब्जे में है. उक्त भूखंड की नामांतरण प्रकिया में गड़बड़ी करते हुए इंट्री के बाद नामकुम सीओ ने डीए को फॉरवर्ड किया.
जांच के बाद डीए ने सीओ को नोटिस जारी करने के लिए वापस सीओ के पास भेज दिया. नोटिस जारी करने के बाद सीओ ने राजस्व उपनिरीक्षक को प्रतिवेदन के लिए भेजा, जिसमें फर्जी रिपोर्ट के आधार पर पहले करेक्शन स्लिप जारी किया गया. इसके बाद एक दिसंबर 2020 को स्वीकृत करते हुए रजिस्टर टू में चढ़ाया गया. 8 जुलाई 2020 को निष्पादित होकर जमाबंदी कायम किया गया, जो पूर्ण रूप से गलत है. इसमें आरोपी धर्मेंद्र बक्सी, शिवप्रकाश सिंह और रघु गोप द्वारा लाभ लेने के लिए राज्य एनआईसी के अधिकारियों से मिलकर फर्जीवाड़ा किया गया है. पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
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कैसे हुआ मामला का खुलासा
यह मामला नामांतरण वाद संख्या 3789/2020-21 की जांच के क्रम में सामने आया. इस मामले में आवेदन इंट्री के बाद सीओ द्वारा D.A. को Forward किया गया. D.A. के वेरिफिकेशन के बाद सीओ को वापस नोटिस जेनरेट के लिए भेजा गया. नोटिस जेनरेट के बाद सीओ द्वारा राजस्व उप निरीक्षक को प्रतिवेदन के लिए भेजा गया. इसमें फर्जी रिपोर्ट के आधार नामांतरण प्रकिया पूरी की गयी. यह फर्जीवाड़ा एनआईसी के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं हो सकता.