Lagatar Desk: चैती छठ के चार दिवसीय अनुष्ठान के तीसरे दिन सोमवार की संध्या पहर में अस्ताचलगामी भगवान भास्कर की पूजा संपन्न हुई. व्रती महिलाओं ने नदी किनारे व कई महिलाओं ने घर में ही भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया. व्रती महिला-पुरुष ने स्नान-ध्यान कर पीला व लाल वस्त्र धारण कर पूरी पवित्रता के साथ हाथों में बांस की सूपली में ऋतु फल, पकवान, ईख, नारियल, कलश रखकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया.
मंगलवार की सुबह व्रती महिलाएं उदित सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगी. इसके साथ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास खत्म हो जाएगा और वो पारण करेंगे. साल में छह महीने के अंतराल पर कार्तिक और चैत मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर होने वाले छठ पर्व का सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से काफी महत्व है. छठ पर्व लौकिक और परलौकिक दोनों ही जीवन को सुख देने वाला है. इस पर्व से मृत्यु के बाद भी सूर्य लोक में स्थान प्राप्त होता है और वहां जीवात्मा को सुख की प्राप्ति होती है.
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