LagatarDesk : मशहूर नारीवादी लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता कमला भसीन का आज सुबह 3 बजे निधन हो गया. भसीन ने 75 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. कमला भसीन कैंसर से पीड़ित थीं और उनका इलाज भी चल रहा था. उनके निधन की जानकारी सामाजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव ने दी. कमला भसीन के निधन से सामाजिक कार्यकर्ताओं में शोक की लहर है.
कविता श्रीवास्तव ने ट्वीट करके दी जानकारी
सामाजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव ने ट्विटर पर उनके निधन की जानकारी दी. उन्होंने लिखा कि भसीन ने आज सुबह तीन बजे अंतिम सांस ली. यह भारत और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में महिला आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका है. उन्होंने जीवन को विपरीत परिस्थितियों में मनाया. कमला आप हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगी.
Kamla Bhasin, our dear friend, passed away around 3am today 25th Sept. This is a big setback for the women's movement in India and the South Asian region. She celebrated life whatever the adversity. Kamla you will always live in our hearts. In Sisterhood, which is in deep grief pic.twitter.com/aQA6QidVEl
— Kavita Srivastava (@kavisriv) September 25, 2021
शबाना आजमी ने शोक व्यक्त किया
अभिनेत्री और सामाजिक कार्यकर्ता शबाना आजमी ने भी कमला भसीन के निधन पर शोक व्यक्त किया है. उन्होंने ट्वीट में लिखा कि कमला भसीन ने अपनी आखिरी लड़ाई, गायन और जीवन को अच्छी तरह से जीने का जश्न मनाया है. उनकी कमी हमेशा खलेगी. उनकी साहसी मौजूदगी हंसी और गीत, उनकी अद्भुत ताकत उनकी विरासत है. हम सब इसे संजो कर रखेंगे जैसा हमने पहले अरुणा रॉय के लिए किया था.
Fiesty #Kamla Bhasin has fought her last battle, singing and celebrating a life well lived.Her absence will be felt acutely, her gutsy presence,laughter and song,her wonderful strength are her legacy
We treasure her now as we did before .Aruna Roy— Azmi Shabana (@AzmiShabana) September 25, 2021
कौन थीं कमला भसीन?
भसीन 1970 के दशक से भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में महिला आंदोलन में भसीन एक प्रमुख आवाज रही हैं. उन्होंने 2002 में नारीवादी नेटवर्क ‘संगत’ की स्थापना की. जो ग्रामीण और आदिवासी समुदायों की वंचित महिलाओं के साथ काम करती है. कमला भसीन हमेशा नाटक, गीत और कला जैसे गैर-साहित्यिक साधनों का उपयोग करके समाज में महिला उत्थान के लिए काम करती थीं. भसीन ने नारीवाद और पितृसत्ता पर कई किताबें लिखी हैं. इनमें से कुछ किताबों का 30 से अधिक भाषाओं में अनुवाद भी किया गया.