- 20 साल में 9737.57 करोड़ की अनियमितता मिली : डॉ रामेश्वर उरांव
सरयू ने वित्त विभाग को दिए सुझाव
- नियम बने ताकि सरकार को बताना पड़े कि सदन में दिए आश्वासन पर क्या किया गया.
- कॉपोरेट जगत (कॉपोरेशन) के कामों की जांच के लिए बने अलग कोषांग
डॉ रामेश्वर उरांव ने दिया जवाब
- विभागों के ऑडिट के लिए बनाया गया निदेशालय
- कैग रिपोर्ट की अनियमितता दूर करने के लिए निरंतर कर रहे बैठक
Ranchi : नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) के ऑडिट सप्ताह दिवस कार्यक्रम में पहुंचे जमशेदपुर के निर्दलीय विधायक सरयू राय ने कहा कि विधानसभा समितियों की बैठक में विभागीय सचिव आना ही पंसद नहीं करते. वे अपने अधिकृत अधिकारियों को बैठकों में भेजते हैं. इससे उन्हें कोई ऐतराज नहीं. लेकिन जरूरी है कि नीचे के अधिकारियों को सचिव के बराबर विषयों की जानकारी हो. इससे विधानसभा की सार्थकता पर सवाल उठता है. इसी तरह विधानसभा समितियों के क्षेत्र भ्रमण में पता चलता है कि जिला के अधिकारियों को भी ऑडिट रिपोर्ट की जानकारी नहीं होती. कार्यक्रम में पहुंचे वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि पिछले 20 वर्षों में सरकार के विभागों में करीब 9737.57 करोड़ रुपए से संबंधित अनियमितता पायी गयी है. वित्त विभाग प्रयासरत है कि भविष्य में ऐसी अनियमितता दोबारा नहीं हो. कार्यक्रम में सरयू राय ने वित्त मंत्री को कई सुझाव दिए. इस पर वित्त विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी डॉ उरांव ने सरयू राय को दी. कार्यक्रम में कैग के महालेखाकार अनूप फ्रांसीसी डुंगडुंग, उपमहालेखाकार अजय कुमार सहित कैग के सभी अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे.
अन्य संस्थाएं भी जिम्मेदारी के साथ काम करें- सरयू
सरयू राय ने कहा कि संवैधानिक संस्था के रूप में कैग की भूमिका स्पष्ट रूप से परिभाषित है. लेकिन यह तभी सार्थक होगा, जब अन्य संवैधानिक संस्थाएं जिम्मेदारी के साथ काम करें. पब्लिक का जो पैसा सरकार खर्च करती है, उसका लेखा संधारण (एकाउंटिग मैनटेंनेस) और लेखा परीक्षक (ऑडिटिंग) होना चाहिए. एकाउंटिग मैनटेंनेस के दौरान यह बात सामने आती है, जिम्मेदार संस्थाएं उस राशि का सही उपयोग कर रही है या नहीं. इन्हीं सब कामों की जांच नियंत्रक महालेखापरीक्षक (कैग) करता है. सरयू ने कहा कि सचिव से लेकर नीचे तक के अधिकारियों को खर्चों की जानकारी होनी चाहिए. लेकिन आज इसका समुचित अभाव है.
आज विभागों में फाइनेंशियल ऑफिसर का पद ही नहीं
सरयू ने कहा कि आय-व्यय को लेकर वित्त विभाग पहले आंतरिक अंकेक्षण कराता था. इसके लिए सभी विभागों में फाइनेंशियल ऑफिसर के पद होते हैं. जो विभाग के अधिकारी नहीं होते थे. बल्कि इसके विशेषज्ञ होते थे. इससे कैग को अपनी रिपोर्ट बनाने में आसानी होती थी. लेकिन वह अब नहीं है. इससे सरकार की शिथिलता का पता चलता है.
सरयू राय के सुझाव
- विधानसभा से नियम बने कि सरकार सदन को बताए कि दो सत्र के बीच उसने जो आश्वासन दिया था, उस पर क्या हुआ. इससे अधिकारियों पर जिम्मेवारी बढ़ेगी. इससे कैग की रिपोर्ट और विधानसभा समितियों की कार्रवाई को अधिकारी गंभीरता से लेंगे.
- कॉपोरेट जगत (कॉपोरेशन) के कामों का भी अधिकारियों को भी कुछ पता नहीं होता. विभागों को इसके लिए एक अलग कोषांग बनाना चाहिए.
20 सालों में विभागों का ऑडिट नहीं हुआ : डॉ उरांव
वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि सुशासन बनाए रखने के लिए कैग का अहम रोल है. उन्होंने माना कि अधिकारी कैग रिपोर्ट को सीरियसली नहीं लेते हैं. हालांकि वित्त मंत्री रहते हुए उन्होंने कैग रिपोर्ट की आपत्तियों पर निराकरण का काम शुरू किया है. बीते 20 सालों में विभागों का ऑडिट नहीं हुआ. जब उन्होंने इस पर काम शुरू करवाया, तो पता चला कि बीते 20 सालों में 9737.57 करोड़ (करीब 10,000 करोड़) रुपए की अनियमितता हुई. यह ऑडिट स्टेट ऑडिट एसोसिएशन के द्वारा की गयी.
विभागों के ऑडिट के लिए निदेशालय का गठन
सरयू राय के दिए सुझाव पर डॉ उरांव ने बताया कि वित्त विभाग द्वारा डॉयरेक्टोरेट (निदेशालय) का गठन किया गया है, जिसमें सभी विभाग के ऑडिटर शामिल किए गए हैं. इससे अब सभी विभागों का ऑडिट होगा. अनियमितता खत्म होगी.
135 सरकारी योजनाओं का किया गया ऑडिट : महालेखाकार
कैग महालेखाकार अनूप फ्रांसीसी डुंगडुंग ने कहा कि समय के साथ कैग की भूमिका काफी बढ़ गयी है. आज कैग रिपोर्ट बनाने में उन्हें जगह दी जा रही है, जो नए-नए इनोवेशन को बढ़ावा देते हैं. पिछले तीन वित्तीय वर्ष 2018-19 से लेकर 2021-22 तक कैग द्वारा 851 ईकाइयों और 135 सरकारी योजनाओं का ऑडिट किया गया है. ऑडिट सप्ताह को लेकर उन्होंने कहा कि इस दौरान कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए गए. इसमें पेंटिग प्रतियोगिता, वाद-विवाद प्रतियोगिता आदि शामिल हैं.
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