Nitesh Ojha
Ranchi : झारखंड कांग्रेस से जुड़े पार्टी नेताओं के इस्तीफा देने का सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा है. ताजा मामला झारखंड प्रदेश कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह का है. वैसे तो उनके भाजपा में जाने की अटकलें पिछले कई माह से थी, लेकिन आज जिस तरह से उनके इस्तीफे की खबर आयी, कांग्रेस के अंदर तहलका मचा गया. देखा जाए, तो 2019 के लोक सभा चुनाव के पहले झारखंड में कांग्रेस को मजबूत करने का जिम्मा दिल्ली बैठने वाले जिन तीन नेताओं को मिला था. इसमें एक प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह थे, तो दो अन्य नेता सह-प्रभारी मैनूल हक और उमंग सिंघार है. पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद मोइनुल हक तो पहले ही कांग्रेस छोड़कर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में चले गये हैं. वहीं, महज कुछ घंटे पहले तक प्रदेश प्रभारी रह चुके आरपीएन सिंह ने आज कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया.
कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की सहमति के बाद उमंग सिंघार का यात्रा परमिशन हुआ था रद्द, उसके बाद वे रांची नहीं लौटे
अब बचते हैं, दूसरे सह-प्रभारी उमंग सिंघार. वे तो पिछले 18 माह से प्रदेश की राजनीति से दूर हैं. दरअसल, उनके साथ 7 अगस्त 2020 को एक ऐसा वाकया हुआ जिसे लेकर कहा जाता है कि उमंग सिंघार काफी नाराज हुए थे. कोरोना की पहली लहर के समय 6 अगस्त 2020 को उमंग सिंघार अंतिम बार झारखंड आये थे. वे विभिन्न जिलों का दौरा करने के लिए रांची पहुंचे थे. इस दौरान वे कांग्रेस के एक नेता के निधन होने के बाद उनके परिवार से मिलने गिरीडीह जाने वाले थे. लेकिन ऐन वक्त पर उनका यात्रा परमिशन कैंसिल कर दिया गया. जिससे उमंग सिंघार काफी नाराज हुए. माना जा रहा था, कि प्रदेश कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की सहमति के बाद ही उनका परमिशन कैंसिल किया गया था.
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माना जाता है कि आरपीएन के कारण उमंग सिंघार की राजनीति प्रदेश में हासिये पर थी
माना जाता है कि आरपीएन के कारण उमंग सिंघार की राजनीति प्रदेश में हासिये पर थी. हालांकि इन सब से अलग उमंग सिंघार के प्रदेश कांग्रेस की मजबूती को लेकर काफी कुछ किये हैं. कांग्रेस के एक शीर्ष नेता का कहना है कि उनकी निष्क्रियता का एक कारण स्वयं आरपीएन सिंह ही थे. जिस तरह से आरपीएन ने उमंग सिंघार को प्रदेश की राजनीति से दूर करने की कोशिश की, उसके कारण उमंग सिंघार आज खुद को हसिये पर पा रहे थे.
आज हर नेता निकाल रहा भड़ास,’कोई बांट रहा मिठाई’, तो कोई कह रहा, ‘संकट टल गया’
आरपीएन सिंह के भाजपा में जाने के बाद अब झारखंड कांग्रेस के नेता अपनी भड़ास निकाल रहे हैं. एक महिला विधायक कह रही हैं कि संकट टल गया, तो प्रदेश कांग्रेस के एक विंग के अध्यक्ष मिठाई बांटने की तैयारी में हैं. इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय के बाहर आरपीएन के भाजपा में जाने के बाद एक गुट ने तो आतिशबाजी तक कर दी. लेकिन कुल मिलाकर कहा जाए तो प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी और सह-प्रभारी की निष्क्रियता ने झारखंड कांग्रेस को नुकसान ही पहुंचाया है.
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