Ranchi: देशभर में गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की मृत्यु होने का आंकड़ा काफी अधिक है. पूर्व से भी कई बीमारियों से पीड़ित रहने और खानपान को नजरअंदाज करने के कारण ऐसा होता है. काफी हद तक उन्हें बचाने की कोशिश करने पर भी 40 से 45% मामलों में वैसी महिलाओं की मौत ही हो जाती है. हालांकि महिलाओं में प्री-डिलिवरी मोर्टालिटी रेट को कम करने और जागरूकता लाने के लिए कई सामाजिक संस्थाएं काम कर रही हैं. चिकित्सा के क्षेत्र में भी काफी एडवांस टेक्नोलॉजी आ चुकी हैं जो इस तरह के मृत्यु दर में कमी लाने में काफी कारगर साबित हो रहे हैं. इन्हीं चिकित्सा पद्धतियों और एक्सपर्ट चिकित्सक आपस में जानकारी साझा करने के लिए स्टेशन रोड स्थित होटल बीएनआर चाणक्य में तीन दिवसीय ‘फोग्सी इस्ट जोन कॉन्फ्रेंस विद युवा-2022’ का आयोजन किया गया है. कॉन्फ्रेंस के पहले दिन बतौर मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद महुआ माझी, अजिता भट्टाचार्य शामिल रहीं. कार्यक्रम का उद्घाटन दोनों अतिथियों के अलावा फोग्सी की नेशनल प्रेसिडेंट डॉ. एस शांता कुमारी, रिम्स की पहली बैच की पासआउट स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. उषा नाथ, डॉ. सुमन सिन्हा, डॉ. बासव मुखर्जी द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया.
कई राज्यों के चिकित्सकों ने लिया सम्मेलन में भाग
इस दौरान कॉन्फ्रेंस की ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. किरण त्रिवेदी ने बताया कि पहले दिन इस कार्यशाला में एंडोस्कोपी की नई पद्धति, अल्ट्रासाउंड आदि के बारे जानकारी दी गई. बताया गया कि एंडोस्कोपी की जो नई पद्धति है. उसमें हर किसी के काम करने का तरीका अलग है. अच्छे स्कील सिख कर इसमें विशेषज्ञ हो सकते हैं. इसी तरह अल्ट्रासाउंड भी है.
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इस सम्मेलन में हर राज्य से चिकित्सक भाग ले रहे हैं, जो भी उनके इलाज का अपना तरीका है सभी आपस में एक-दूसरे से साझा करेंगे. डॉ. अर्चना पाठक ने बताया कि महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान कई ऐसी बीमारियां है जिसका निराकरण गर्भ में रहते ही किया जा सकता है. इन सभी विषयों व तकनीकों पर विस्तार से चर्चा की गई. उन्होंने बताया कि वजाइनल सर्जरी को डे केयर सर्जरी में तब्दिल किया जा सकता है.
लेप्रोस्कोपी में जैसे सर्जरी के दिन ही मरीजों को डिस्चार्ज किया जा सकता है. विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ-साथ कॉन्फ्रेंस में उपस्थित पीजी डॉक्टरों, सीनियर रेजिडेंट को भी इन सभी विषयों पर बारीकी से जानकारी दी गई. इस दौरान महिला सुरक्षा, जागरूकता की शपथ भी दिलाई गई.
वर्कशॉप में लाइव सर्जरी
कॉन्फ्रेंस के दौरान रिम्स के ओटी से लाइव सर्जरी कर उपस्थित चिकित्सकों को सिखाया गया कि अगर सर्जरी के दौरान रक्तस्राव ज्यादा हो तो कैसे रोगी की जान बचाई जाए और स्थिति पर नियंत्रण कैसे पाएं. जानकारी दी गई कि प्रैक्टिकल ओब्सट्रेक्टिव जो बच्चों के जन्म में काफी कॉम्पलिकेटेड विषय है, इसमें बहुत विशेषज्ञता की जरूरत होती है, कॉन्फ्रेंस के दौरान एक पूरा सत्र इसी पर आधारित था.
महिलाएं जुल्म और हिंसा के बाद ऐसी स्थिति में पहुंचती हैं, कई बार जान बचाना मुश्किल हो जाता है
इधर, फोग्सी की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ एस शांता कुमारी ने कहा कि हमारा संघ देशव्यापी स्तर पर काम करती है. साल में एक बार राष्ट्रीय सम्मेलन और 4 जोनल कॉन्फ्रेंस विथ युवा का आयोजन होता है. ईस्ट जोन में इस बार रांची में आयोजन किया गया है. कार्यक्रम उद्देश्य मातृत्व मृत्यु दर को कम करने के साथ उनकी जान कैसे बचायी जाये इस पर चर्चा करना है. उन्होंने कहा कि न सिर्फ भारत में बल्कि विश्व के कई देशों में महिलाओं पर जुल्म और हिंसा हो रहा हैं. कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि इन मामलों के बाद महिलाएं ऐसी अवस्था में चिकित्सक के पास पहुंचती है जिसे बचा पाना भी मुश्किल हो जाता है. गर्भवस्था के दौरान भी महिलाओं पर खूब हिंसा के मामले आते हैं. हालांकि उन्होंने कहा कि कुछ साल की तुलना में देश और झारखंड राज्य में मातृत्व मृत्यु दर के मामलों में काफी कमी आई है. इस कार्यक्रम में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार और उसके उपचार की जानकारी कॉन्फ्रेंस में शामिल चिकित्सकों को दी जा रही है. हम सभी के प्रयासों से ही मातृत्व मृत्यु दर में कमी आई है.
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एक दूसरे के साथ जानकारी साझा करने में होती है आसानी
वहीं फोग्सी के उपाध्यक्ष डॉ बासव मुखर्जी ने कहा कि मातृत्व के समय मृत्यु का खतरा बना रहता है. ऐसे में गर्भवती माताओं की जान बचाना हम सभी की प्राथमिकता होती है. साथ ही स्वस्थ बच्चे के जन्म को लेकर के भी डॉक्टर काम करते हैं. ऐसे आयोजन से हम देश के अलग-अलग हिस्सों से आए चिकित्सकों के साथ जानकारियां साझा करते हैं. ऐसे कॉन्फ्रेंस में कई चिकित्सीय विषयों पर चर्चाएं होती हैं जो आमतौर पर नहीं हो सकता है.