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Ranchi: झारखंड में पहली बार मेदांता अस्तपाल में एंडोस्कोपनी प्रक्रिया से पैंक्रियायटिस का इलाज किया गया है. यह जानकारी मेदांता अब्दुर रज्जाक अंसारी मेमोरियल वीवर्स हॉस्पिटल के डॉक्टर संगीत सौरभ ने दी. वह रांची प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में बोल रहे थे. उन्होंने बताया कि रामगढ़ निवासी एक युवक को अस्पताल में भराती कराया गया था. वह पेट में असहनीय दर्द, बार-बार होने वाले बुखार व उल्टियां आने से परेशान था. इससे पहले भी किसी दूसरे अस्पताल में उसने इलाज कराया था.
डॉ सौरभ ने बताया कि मरीज की स्थिति को देखते हुए ईयूएस प्रक्रिया के तहत इलाज किया गया. इसे सिस्टोगैस्ट्रोस्टमी कहा जाता है. इसमें एक्यूट पैंक्रियायटिस के बाद मरीज के गंदे संक्रमित तरह पदार्थ व मलबे जमा होते हैं. इसे स्पूडोसिस्ट या डब्लूओएन कहा जाता है. एंडोस्कोपी के जरिये पानी के निकासी की गई, साथ ही स्टंट लगाया गया. जिससे हानिकारण पानी बाहर निकाला गया. इस तरह रामगढ़ निवासी मरीज को ठीक किया गया.
मरीज के बारे में जानकारी देते हुए डॉ सोरभ ने बताया कि शुरु में तो उन्हें एंटीबायोटिक दिया गया. बाद में सिटी स्केन कराने पर पता चला कि उन्हें एक्यूट पैंक्रियायटिस है. आज के समय में पैंक्रियायटिस की बीमारी काफी बढ़ रही है. यह एक गंभीर बीमारी है. 10 प्रतिशत मामले में मरीज की जान भी चली जाती है. गॉलस्टोन और शराब पीने की वजह से यह बीमारी होती है. इस बीमारी में पेंक्रियाज और आसपास की टिश्यू में सूजन हो जाता है जिसकी वजह से 20 से 30 प्रतिशत मरीजों में आर्गन फेलियर हो सकता है. इस बीमारी में पैंक्रियाज में सूजन हो जाता है जिसका प्रभाव अन्य अंगों पर भी पड़ सकता है.