LagatarDesk : भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों का भरोसा लगातार छह माह तक कायम था. लेकिन अब विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) बिकवाल बन गये हैं. सितंबर में अबतक निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों से 4,200 करोड़ निकाले हैं. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने आठ सितंबर तक शेयरों से 4,203 करोड़ निकाले हैं. हालांकि निवेशकों ने ऋण या बॉन्ड बाजार में 643 करोड़ का निवेश किया है. इससे पहले लगातार छह माह तक (मार्च से अगस्त तक) विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयरों में निवेश किया था. इस दौरान उन्होंने 1.74 लाख करोड़ के शेयर खरीदे थे. इस तरह साल 2023 में अबतक शेयरों में एफपीआई का कुल निवेश 1.31 लाख करोड़ और बॉन्ड बाजार में 28,825 करोड़ पर पहुंच गया है. (पढ़ें, दिल्ली : जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के बाद जो बाइडन वियतनाम रवाना)
रुपये में आये उतार-चढ़ाव एफपीआई प्रवाह को कर सकता है प्रभावित
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने सितंबर में रुझान में बदलाव के लिए अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल बढ़ने को प्रमुख वजह बताया. उन्होंने कहा कि डॉलर सूचकांक की मजबूती की वजह से भी एफपीआई के रुख में बदलाव आया है. वहीं यस सिक्योरिटीज (इंडिया) लिमिटेड की मुख्य निवेश सलाहकार निताशा शंकर ने कहा कि आने वाले एक या दो सप्ताह में एफपीआई की निकासी का सिलसिला जारी रह सकता है. रुपये में आये उतार-चढ़ाव भी एफपीआई प्रवाह को प्रभावित कर सकता है.
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इन कारणों के कारण एफपीआई की चिंता बढ़ी
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की निकासी की मुख्य वजह वैश्विक ब्याज दर परिदृश्य, विशेष रूप से अमेरिका में अनिश्चितता और वैश्विक आर्थिक वृद्धि को लेकर चिंता रही है. उन्होंने कहा कि यह चिंताएं व्यापक वैश्विक आर्थिक कारकों से उपजी हैं. इनमें कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और मुद्रास्फीति जोखिमों का फिर उभरना शामिल है.
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