Bismay Alankar
Hazaribagh: दुनिया में दोस्ती की अनेक मिसालभरी कहानियां आपने सुनी होंगी. लेकिन अब आपको एक ऐसी दोस्ती की कहानी सुना रहे हैं, जो जिंदा और मृत लोगों के बीच की दोस्ती की कहानी है. यह काफी अलग और प्रेरणादायक है.
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लावारिस शवों को उनके धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार करते हैं
यह कहानी है हजारीबाग के तापस चक्रवर्ती और मोहम्मद खालिद की दोस्ती की. मोहम्मद खालिद और तापस चक्रवर्ती की दोस्ती वर्षों पुरानी है. तापस चक्रवर्ती हज़ारीबाग के संत कोलंबा महाविद्यालय में प्राचार्य के पद पर कार्य करते थे. उसी कॉलेज में मोहम्मद खालिद पढ़ाई करते थे. तब तक तो यह नाता शिक्षक और छात्र का था. पढ़ाई के कुछ दिनों के बाद मोहम्मद खालिद ने देखा की सड़कों पर जो लावारिस शव होते हैं उनकी स्थिति बहुत अच्छी नहीं रहती है. कई बार तो उनके अंतिम यात्रा के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. इसके लिए लोग आगे भी नहीं आते हैं. ऐसे में मोहम्मद खालिद ने यह तय किया कि अब वह ऐसे लावारिस शवों को उनके धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार करेंगे.
गुलाब फूल अर्पित करते हैं
इसी कार्य में तापस का साथ खालिद को मिला. फिर इनकी दोस्ती तापस चक्रवर्ती से हुई, जो आज तक कायम है. अब तक इन दोनों ने हजारों शवों का दाह संस्कार किया है. इस बीच इनकी दोस्ती इन लावारिस मृत हो चुके अनजान लोगों के साथ कैसे हुआ यह कोई नहीं जानता. लेकिन यह लोग फ्रेंडशिप डे के दिन उन्हें याद करते हैं. वे कब्रिस्तान और श्मशान घाट आते हैं और जिन लोगों का अंतिम संस्कार किया है उनको याद कर उन्हें गुलाब के फूल देते हैं.
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मोहम्मद खालिद कहते हैं कि किसी ना किसी तरह से यह तो हमारे मित्र ही हैं. इनको सदगति देते समय अगर भूलवश भी कोई गलती हो गई हो तो उसी की क्षमा मांगने हम आज फ्रेंडशिप डे के दिन इनके पास आते हैं. ताकि हमारी और इनकी दोस्ती बरकरार रहे. वहीं तापस चक्रवर्ती ने बताया यह जो लावारिस लोग हैं, जिन का अंतिम संस्कार हमलोगों ने किया है, वह कहीं ना कहीं किसी ना किसी तरह हमारे अपने ही होंगे. नहीं तो ये हमलोगों के ही कांधे पर चढ़कर अंतिम यात्रा क्यों करते. इसलिए इनको याद करने के साथ ही दोस्ती कायम रखने के लिए हम दोनों मित्र यहां पर आते हैं. इन्हें श्रद्धा सुमन के रूप में गुलाब अर्पित करते हैं. जमाने में दोस्ती के बहुत सारे रंग हैं. लेकिन हजारीबाग के तापस और खालिद की दोस्ती और इनकी लावारिस शवों के साथ दोस्ती अपने आप में एक अनूठा उदाहरण है, जिसकी मिसाल दुनिया देती है.
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