Ranchi : हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का खास महत्व है. चैत्र नवरात्रि कल यानी 22 मार्च से शुरू होने वाली है. चैत्र नवरात्रि के साथ ही हिंदू नववर्ष भी शुरू हो जायेगा. नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा की अलग-अलग रूप में उपासना की जाती है. ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा नवरात्रि के दौरान पृथ्वीलोक पर आती हैं. मां दुर्गा का आगमन विशेष वाहनों से होता है. इस बार मां दुर्गा नाव पर सवार होकर आ रही हैं. क्योंकि नवरात्रि का आरंभ बुधवार को हो रहा है. इस साल नवरात्र में 110 साल बाद शुभ योग बन रहा है. क्योंकि इस बार नवरात्र पूरे 9 दिन की होगी. (पढ़ें, गिरावट के बाद संभला बाजार, सेंसेक्स 334 अंक चढ़ा, बजाज फिनसर्व टॉप लूजर)
अच्छी बारिश और अच्छी फसल के संकेत
इस साल चैत्र नवरात्रि 2023 बुधावार से शुरू हो रही हैं. ऐसे में मां दुर्गा की सवारी नौका है. नाव जल में चलने वाला वाहन होता है. ज्योतिष की मानें तो मां दुर्गा जब नाव पर होकर आती हैं तो अच्छी बारिश और अच्छी फसल के संकेत मिलते हैं. माता रानी के नौका से आगमन का मतलब सर्वसिद्धिदायक होता है. नौका वाहन के साथ मां दुर्गा के आगमन या प्रस्थान करने का अर्थ होता है कि, माता रानी से वह सबकुछ प्राप्त होगा, जो आपको चाहिए. यदि मां दुर्गा नौका पर सवार होकार आती हैं तो सर्वसिद्धिदायक होता है.
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21 मार्च रात से प्रतिपदा तिथि की होगी शुरुआत
वैदिक पंचांग के अनुसार, प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 21 मार्च रात को 10 बजकर 52 मिनट से होगा और समाप्क अगले दिन 22 मार्च को रात 8 बजकर 21 मिनट पर होगा. नवरात्रि की शुरुआत प्रतिपदा तिथि को अखंड ज्योति और कलश स्थापना के साथ होती है. पवित्र कलश की स्थापना के बाद ही देवी की उपासना की जाती है. घटस्थापना का सबसे अच्छा समय सुबह 6 बजकर 23 मिनट से 7 बजतक 32 मिनट तक रहेगा. प्रतिपदा के दिन 5 राजयोग (नीचभंग, बुधादित्य, गजकेसरी, हंस और शश) बन रहे हैं. नवरात्रि के दौरान 3 सर्वार्थ सिद्धि योग (23 मार्च, 27 मार्च और 30 मार्च को) लगेगा. जबकि अमृत सिद्धि योग 27 मार्च और 30 मार्च को लगेगा. रवि योग 24 मार्च, 26 और 29 मार्च को लगेगा. नवरात्रि के अंतिम दिन रामनवमी के दिन गुरू पुष्य योग भी रहेगा.
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कलश स्थापना की विधि
कलश स्थापना की विधि शुरू करने से पहले सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करके साफ कपड़े पहनें. उसके बाद एक साफ स्थान पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर माता रानी की प्रतिमा स्थापित करें. इस कपड़े पर थोड़े चावल रखें. एक मिट्टी के पात्र में जौ बो दें. इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें. कलश पर स्वास्तिक बनाकर इसपर कलावा बांधें. कलश में साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालकर अशोक के पत्ते रखें. एक नारियल लें और उस पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधें. इस नारियल को कलश के ऊपर पर रखते हुए देवी दुर्गा का आवाहन करें. इसके बाद दीप आदि जलाकर कलश की पूजा करें. नवरात्रि में देवी की पूजा के लिए सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश स्थापित किया जाता है.
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कलश स्थापना के कुछ खास नियम
गलत दिशा में कलश न रखें : कलश को गलत दिशा में स्थापित करने से बचें. ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) देवताओं की दिशा होती है. इस दिशा में ही कलश को स्थापित किया जाना चाहिए.
कलश का मुंह खुला न रखें : शारदीय नवरात्रि पर अगर आप कलश की स्थापना करने वाले हैं तो ध्यान रखें कि कलश का मुंह खुला ना रहे. इसे किसी ढक्कन से ढककर ही रखें. ढक्कन को चावलों से भर दें और उसके ठीक बीचोबीच नारियल रखें.
कलश स्थापना से पहले करें ये काम : कलश को स्थापित करने से पहले देवी मां के सामने अखंड ज्योति प्रज्वलित करें. इस दिशा को आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण) में रखें. कलश स्थापित करते वक्त साधक को अपना चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा में ही रखना चाहिए.
साफ-सफाई का रखें ध्यान : घर में आप जिस जगह पर कलश स्थापित करने वाले हैं या देवी की चौकी लगाने वाले हैं, वहां स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें. घटस्थापना चंदन की लकड़ी पर करें तो शुभ होगा.
इन जगहों पर ना करें घटस्थापना : घटस्थापना का स्थल बाथरूम या किचन के आस-पास नहीं होना चाहिए. अगर पूजा स्थल के ऊपर कोई आलमारी या सामान रखने की जगह है तो उसे भी अच्छी तरह साफ कर लें.
जानिए कैसे तय होती है मां दुर्गा की सवारी
नवरात्रि में मां दुर्गा की सवारी दिन के हिसाब से तय होती है. नवरात्रि की शुरुआत यदि रविवार या सोमवार से होता है तो मां दुर्गा का आगमन हाथी से होता है. नवरात्रि शुरुआत यदि मंगलवार या शनिवार से होता है तो मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आती हैं. गुरुवार या शुक्रवार को यदि नवरात्रि की शुरुआत होती है तो माता रानी डोली पर सवार होकर आती हैं. वहीं अगर नवरात्रि की शुरुआत बुधवार को हो रही है तो मां दुर्गा का आगमन नौका से होता है.