NewDelhi : कंधार हाइजैक की घटना भारत के आधुनिक इतिहास का सबसे शर्मनाक आत्मसमर्पण था. भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भाजपा की तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार को निशाने पर लेते हुए यह बात कही. स्वामी ने वर्तमान अफगानिस्तान समस्या को लेकर पुरानी बातों को दोहराया. बता दें कि वे अफगानिस्तान मामले में पीएम मोदी को भी घेर रहे हैं. वह यहां तक कह चुके हैं कि आने वाले समय में अफगानिस्तान में भारत को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा.
Kandahar 1999 episode worst capitulation to terrorists in India’s modern history: Subramanian Swamy https://t.co/KIUrrtK2R0
— Subramanian Swamy (@Swamy39) September 13, 2021
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पीएम मोदी अपनी कुर्सी छोड़ दूसरे नेता के लिए रास्ता बना दें
उन्होंने पीएम मोदी को यहां तक सलाह दे डाली कि वह अपनी कुर्सी छोड़ दूसरे नेता के लिए रास्ता बना दें, जिससे इस संकट का सामना करने के लिए मजबूत नेतृत्व मिल सके. स्वामी इससे पहले तेल के दामों सहित कई अन्य मसलों पर मोदी सरकार पर हल्ला बोल चुके हैं. लद्दाख में चीन के अतिक्रमण पर उन्होंने सरकार पर करारा हमला किया था.
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कंधार हाइजैक की घटना 24 दिसंबर 1999 को हुई थी
सुब्रमण्यम स्वामी ने कंधार हाइजैक की घटना की फिर से याद दिला दी है. घटना 24 दिसंबर 1999 को हुई थी. काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से इंडियन एयरलाइंस की फ़्लाइट संख्या आईसी 814 ने दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी. विमान में कुल मिलाकर 180 यात्री और क्रू मेंबर सवार थे. जैसे ही विमान भारतीय हवाई क्षेत्र में दाखिल हुआ, तभी बंदूकधारी आतंकियों ने विमान का अपहरण कर लिया. पाकिस्तान समेत कई जगहों पर होते हुए अपहर्ता विमान को काबुल ले गये, लेकिन वहां रात को विमान उतरने की सुविधा नहीं थी जिसके कारण हाइजैकर्स हवाई जहाज को दुबई ले गये.
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तीन आतंकियों को कंधार ले जाकर रिहा करना पड़ा
तत्कालीन एनडीए सरकार को यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तीन आतंकियों को कंधार ले जाकर रिहा करना पड़ा था. 31 दिसंबर को सरकार और अपहरणकर्ताओं के बीच समझौते के बाद दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान के कंधार एयरपोर्ट पर अगवा रखे गये सभी 155 बंधकों को रिहा कर दिया गया. यात्री रिहा तो हो गये लेकिन जिस तरह से सरकार ने उनके सामने घुटने टेके उससे भारत की दुनिया भर में किरकिरी हुई थी. कंधार कांड के समय वाजपेयी पीएम थे. उनकी सरकार के विदेश मंत्री जसवंत सिंह ख़ुद तीन आतंकियोंको अपने साथ कंधार ले गये थे. छोड़े गये चरमपंथियों में जैश-ए -मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर, अहमद ज़रगर और शेख अहमद उमर सईद शामिल थे. इस घटना को लेकर विपक्ष आज तक भाजपा पर हमला करता रहा है.