Suresh Singh
Giridih : जमुआ प्रखंड के नवडीहा में विगत तीन सौ वर्षो से मां दुर्गा की पूजा हो रही है. नवडीहा के राज परिवार के ठाकुर हरिनागर सिंह ने खपरैलनुमा मंडप में पूजा शुरू की थी. आज उस स्थान पर मां दुर्गा की भव्य मंदिर है. यहां की पूजा पूरे क्षेत्र में चर्चित है. प्रखंड के करीब 70 गांवों के दर्शनार्थीं यहां मां दुर्गा का दर्शन करने आते हैं. मेला संचालन समिति के अध्यक्ष शैलेश प्रसाद सिंह ने बताया कि इस मंदिर में मां दुर्गा की प्रतिमा को जाग्रत माना जाता है. कई भक्तों की मनोकामना पूरी हुई है. मां दुर्गा के प्रति भक्तों में अपार श्रद्धा है. भक्त चढ़ावा चढ़ाते हैं, जिसे डाक कहा जाता है. चढ़ावा को सिल्वर रंग के पात्र या वस्त्र में चढ़ाया जाता है. मान्यता है कि मां को यह रंग पसंद है. इस वजह से इसी रंग में डाक चढ़ाने का विधान है. वर्ष 2040 तक डाक चढ़ाने की अग्रिम बुकिंग हो चुकी है.
पूजा शुरू होने के बाद कई वर्षों तक खपरैल के बने मंडप में दुर्गा पूजा होती रही. वर्ष 1984 में टिकेट इंद्रनारायण सिंह ने मंदिर का निर्माण कराया. वे जमुआ विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक और एक बार विधान परिषद् सदस्य भी रहे. उनकी पत्नी विभावती देवी (झरिया के राजा शिवप्रसाद सिंह की पुत्री) का भी मंदिर निर्माण में भरपूर सहयोग रहा. वर्ष 2022 में नवडीहा निवासी सुधीर साव, शंकर साव, प्रसादी पंडित, नीरज सिन्हा और पन्नालाल यादव ने मंदिर में टाइल्स लगवाया. टाइल्स लगने से मंदिर की खूबसूरती और बढ़ गई. मंदिर के सौंदर्यीकरण पर आगे भी काम होगा.
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