Giridih : जिला विधिक सेवा प्राधिकार ने मोटर वाहन क्लेम केस को लेकर व्यवहार न्यायालय में कानूनी जागरूकता शिविर का आयोजन 25 मार्च को किया. शिविर का उद्घाटन प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश वीणा मिश्रा व कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश अरविंद पांडेय समेत अन्य ने संयुक्त रूप से किया. शिविर को संबोधित करते हुए वीणा मिश्रा ने कहा कि जूनियर पुलिस अधिकारियों को सड़क दुर्घटना फॉर्म भरने की जानकारी न होना यह दर्शाता है कि किस प्रकार जिले के वरीय अधिकारी जूनियर अधिकारियों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. शिविर में शामिल होने के आमंत्रण भेजे जाने के बावजूद जिले के पुलिस अधीक्षक नहीं आए.
उन्होंने कहा कि लोग समझते हैं कि सड़क दुर्घटना के दौरान जो मुआवजा दिया गया, उतना ही कानूनी प्रावधान है, लेकिन ऐसा नहीं है. प्रावधान के अनुसार मुआवजा मिलने के बाद सड़क दुर्घटना रिपोर्ट फॉर्म भरने पर मोटर वाहन एक्ट के तहत और भी मुआवजा देने का नियम है. सड़क दुर्घटना के बाद सड़क जाम किया जाना गलत है. सड़क जाम करने से इंसाफ नहीं मिलता. इसके लिए कानून का सहारा लेना पड़ता है. मोटर वाहन एक्ट में इसका प्रावधान है. हादसे के वक्त जो पुलिस अधिकारी पहुंचते हैं, वही सड़क दुर्घटना फॉर्म भर सकते हैं. शिविर को अन्य न्यायिक अधिकारियों ने भी संबोधित किया. शिविर में कई पुलिस अधिकारी व अधिवक्ता शामिल हुए. शिविर के दूसरे चरण में पुलिस अधिकारियों को सड़क दुर्घटना रिपोर्ट फॉर्म भरने की जानकारी दी गई. शिविर में अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश अजय श्रीवास्तव, डीटीओ रोहित सिन्हा जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष प्रकाश सहाय समेत अन्य न्यायिक अधिकारी मौजूद थे.
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