Giridih : पारसनाथ पहाड़ी के सर्वोच्च चोटी पर जैन मुनि प्रसन्न सागर जी महाराज ने 557 दिनों बाद अपना मौन व्रत 28 जनवरी को तोड़ दिया. वे उस चोटी पर तपस्या में लीन थे. पर्वत से नीचे उतरने पर मधुबन में हजारों जैन श्रद्धालियों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया. महाराज का स्वागत करने के लिए देश-विदेश के दस हजार से ज्यादा जैन श्रद्धालु पारसनाथ में डेरा जमाए बैठे हैं. मौन व्रत टूटने के साथ ही सात दिवसीय महापारणा महोत्सव की शुरुआत 28 जनवरी से हो गई. मौन व्रत तोड़ने के बाद महाराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में स्वयं को बदलने की जरूरत है. खुद को बदलने से समस्याओं का समाधान संभव है.
प्रसन्न सागर जी महाराज का जन्म मध्य प्रदेश के छतरपुर में 23 जुलाई 1970 को हुआ. 16 वर्ष की आयु में ब्रह्मचर्य व्रत का पालन शुरू किया. 18 अप्रैल 1989 को मुनि की दीक्षा ली. 23 नवंबर 2019 को आचार्य की पदवी दी गई. उन्होंने 1 लाख किलोमीटर से ज्यादा पैदल यात्रा की है. दीक्षा लेने के बाद अब तक 3500 दिनों से ज्यादा उपवास कर चुके हैं.
महापारणा महोत्सव का आयोजन मधुबन फुटबॉल मैदान में किया गया है. महोत्सव को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. पूरे मधुबन में चप्पे-चप्पे पर पुलिस जवानों की तैनाती है. महापारणा महोत्सव में भाग लेने के लिए योग गुरु बाबा रामदेव, केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला, नेपाल के सांसद गुरवानी समेत कई नामचीन हस्ती मधुबन पहुंच चुके हैं. मौन व्रत तोड़ने के बाद बाबा रामदेव ने जैन मुनि से मुलाकात की. बाबा रामदेव का डाक बंगला, बेंगाबाद, गिरिडीह शहर, मधुबन समेत अन्य जगहों पर हजारों श्रद्धालुओं ने गर्मजोशी से स्वागत किया.
यह भी पढ़ें : गिरिडीह : 21 फरवरी को ढ़िबरा बेचने समाहरणालय कूच करेंगे बाबूलाल