LagatarDesk : ग्लोबल टैक्स यानी वैश्विक न्यूनतम कॉरपोरेट टैक्स समझौता अंतिम चरण में है. इस समझौते को जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन में पेश किया जायेगा. उन देशों की मंजूरी के बाद इस पर अमल की प्रक्रिया शुरू होगी. ग्लोबल टैक्स लागू होने के बाद फेसबुक, गूगल और अमेजन सहित दिग्गज ग्लोबल कंपनियों को अधिक टैक्स देना होगा. जिसके बाद भारत इन कंपनियों पर 15 फीसदी तक का टैक्स लगा सकेंगे.
चार देशों ने ग्लोबल टैक्स समझौते पर नहीं दी सहमति
ग्लोबल टैक्स समझौते पर 130 से अधिक देशों ने अपनी मंजूरी दी है. जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, भारत और यूरोपियन यूनियन (ईयू) के सदस्य शामिल हैं. हालांकि चार देश केन्या, नाइजीरिया, पाकिस्तान और श्रीलंका अभी तक इस समझौते में शामिल नहीं हुए हैं.
गूगल, अमेजन जैसी कंपनियों पर बढ़ेगा टैक्स का बोझ
बता दें कि विकसित देशों को गूगल, अमेजन और फेसबुक जैसी बड़ी कंपनियों से बहुत कम टैक्स मिलता है. अगर ग्लोबल टैक्स लागू होगा तो विश्व की बड़ी कंपनियां उन देशों को तो टैक्स देगी ही जहां वह मूल रूप से स्थित हैं. इसके अलावा गूगल, अमेजन कंपनियों को उन देशों को भी टैक्स देना होगा जहां वो काम करती हैं.
जानिये क्या है ग्लोबल टैक्स
ग्लोबल टैक्स को ही ग्लोबल डिजिटल टैक्स और ग्लोबल मिनी टैक्स कहा जाता है. दरअसल यह कॉर्पोरेट टैक्स है जो कंपनियों पर लगाया जाता है. इसकी दरें अलग-अलग देशों में अलग-अलग है. सभी देशों में इसे 2023 से लागू करने की योजना है.
किस देश में अमीरों पर कितना टैक्स
देश |
टैक्स रेट (%में) |
भारत |
42.7 |
ब्रिटेन |
45 |
फ्रांस |
66 |
जर्मनी |
45 |
जापान |
45.9 |
चीन |
45 |
आयरलैंड |
48 |
दक्षिण अफ्रीका |
45 |
कनाडा |
54 |
आयरलैंड |
48 |
स्वीडन |
57 |
ऑस्ट्रिया |
55 |
वर्तमान समय में भारत में 22 फीसदी है कॉर्पोरेट टैक्स
भारत में अभी कॉर्पोरेट टैक्स की दर 22 फीसदी है. पहले यह 28 फीसदी थी. इसे धीरे-धीरे घटाकर 15 फीसदी पर लाने की योजना पर काम चल रहा है. ऐसे में विदेशी निवेशकों को आर्कषित करने के मद्देनजर ग्लोबल डिजिटल टैक्स की न्यूनतम दर भारत के लिए नुकसानदायक नहीं है.
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बड़ी कंपनियों को टैक्स चोरी करने से रोकना
ग्लोबल टैक्स को लागू करने का बड़ा मकसद है. टैक्स हैवेंस (जहां टैक्स रेट बहुत कम होती है) का इस्तेमाल करके कंपनियों को उन देशों को टैक्स राजस्व से वंचित करने से रोकना है, जहां वह कारोबार करती हैं. साथ ही इस समझौते का मकसद दुनिया की 100 बड़ी कंपनियों को टैक्स चोरी करने से रोकना है.
अमेरिका और यूरोपीय देशों का नुकसान
विशेषज्ञों का मानना है कि ग्लोबल टैक्स लागू करने से विभिन्न देशों के खजाने में हर साल 150 डॉलर अतिरिक्त टैक्स आयेंगे. इसके अलावा 125 अरब डॉलर की वसूली भी होगी. जिसे समझौते में शामिल देशों के बीच बांटा जायेगा. विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा कॉर्पोरेट टैक्स व्यवस्था में सबसे ज्यादा नुकसान अमेरिका और यूरोपीय यूनियन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को होगा. क्योंकि ज्यादातर बड़ी कंपनियां अमेरिका और यूरोपीय यूनियन देशों में है.
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