Godda : भारतीय संस्कृति में पर्व त्योहार मनाने को लेकर विविधता है. होली अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. यूपी में कहीं लठमार होली खेली जाती है तो कहीं फूलों की होली. पंजाब में होली का रूप अलग है. केरल और गोवा में होली का रूप अलग है. वृंदावन में फूलों की होली का अंदाज ही कुछ और है. संथाल आदिवासी समुदाय में एक दूसरे पर पानी फेंककर होली मनाने की परंपरा रही है. अनूठे तरीके से मनाए जाने वाला इस पर्व को इस समुदाय में बाहा के नाम से भी जाना जाता है. प्रकृति के नजदीक रहने वाले इस समुदाय का पर्व त्योहार प्रकृति को ही समर्पित होता है. जंगल, नदी, नाला, पहाड़ ये इस समुदाय की जीवनशैली का अंग है. पतझड़ के मौसम में पेड़ों की पुरानी पत्तियां गिर जाती है तथा नव पल्लव निकलती है. नव पल्लव निकलने पर इस समुदाय के नए साल का आरंभ होता है. नए साल के आगमन का इस समुदाय के बच्चे बुजुर्ग समेत युवक-युवतियां उत्साहित होकर स्वागत करते हैं. पूजा स्थल जाहेरथान में फूलों की पूजा की जाती है. सखुआ और पलाश के फूल को विशेष महत्व दिया जाता है. पुरोहित मांझी हड़ाम पूजा करवाते हैं. आपसी मतभेद को भुलकर एक दूसरे पर पानी फेंककर बाहा मनाया जाता है.


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