Ashish Tagore
Latehar : लातेहार समाहरणालय में एक अच्छी तस्वीर देखने को मिल रही है. कभी हड़िया-दारू बेचकर गुजारा करने वाली महिलाएं अब समाहरणालय में ड्यूटी करने वाले अफसर और कर्मियों को नास्ता और भोजन उपलब्ध करा रही हैं, वह भी उचित कीमत पर शुद्ध और स्वादिष्ट. झारखंड स्थापना दिवस के दिन इस कैंटीन का उद्घाटन डीसी भोर सिंह यादव ने किया था. कैंटीन प्रतिदिन सुबह आठ खुल जाता है और शाम पांच बजे तक चलता है. प्रति दिन अलग-अलग मेन्यू के अनुसार यहां लोगों को नास्ता व खाना परोसा जाता है. चाय सात रुपये प्रति कप, समोसा व रोटी सात रुपये प्रति पीस, आलू पराठा 12 रुपये प्रति पीस व भेज खाना 45 रुपये प्रति थाली है. इसमें रोटी, चावल, दाल, सब्जी के अलावा सलाद व अचार भी शामिल है.
बता दें कि यह महिलाएं पहले हड़िया-दारू बेचकर अपना और परिवार का गुजारा करती थी. बाद में ये महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़ गयीं. सरकार द्वारा लाए गए फूलो-झानो आशीर्वाद योजना के तहत इन्हें ऋण उपलब्ध कराया गया. 6 महिलाएं इस कैंटीन का सफल संचालन कर रही हैं.
उपायुक्त खुद करते हैं मॉनिटरिंग
इस कैंटीन का उपायुक्त खुद मॉनिटरिंग करते हैं. लोगों को स्वादिष्ट व गुणवत्तायुक्त नास्ता व खाना मिले, इसके लिए उपायुक्त ने आवश्यक दिशा-निर्देश दिये हैं. उपायुक्त लगातार कैंटीन का निरीक्षण भी करते हैं. उन्होंने कैंटीन को साफ व स्वच्छ रखने की खास हिदायत दी है.
क्या कहते हैं डीपीएम
जेएसएलपीएस के डीपीएम सचिन साहु ने बताया कि इन महिलाओं को उपायुक्त के द्वारा कैंटीन परिसर एवं अन्य स्थायी संसाधन उपलब्ध कराये गये हैं. जबकि कैंटीन चलाने के लिए प्रतिदिन का राशन व सब्जी का इंतजाम ये महिलाएं खुद करती हैं. महिलाओं को फूलो झानो आशीर्वाद योजना के तहत ऋण उपलब्ध कराया गया है, जिससे वे प्रतिदिन का लेन-देन कर सकें. उन्होंने बताया कि फूलो-झानो आशीर्वाद योजना के तहत वैसी महिलाएं जो हड़िया व दारू बेचतीं है, उन्हें मुख्यधारा में जोड़ने व स्वरोजगार शुरू करने के लिए दस से 50 हजार रुपये तक का ऋण दिया जाता है. पहले वर्ष इस ऋण में कोई ब्याज भी नहीं लिया जाता है.
क्या कहती हैं महिलाएं
इन छह महिलाओं के समूह की अध्यक्ष रेष्मी देवी व सचिव वीणा देवी ने बताया कि उन्हें यहां काम कर बहुत अच्छा लग रहा है. जब लोग नास्ता औ खाना की तारीफ करते हैं तो उन्हें बहुत अच्छा लगता है, संतोष मिलता है. महिलाओं ने उपायुक्त को इसके लिए विशेष रूप से धन्यवाद दिया और कहा कि उपायुक्त उन्हें बहुत ही प्रोत्साहित करते हैं और खुद यहां आकर मार्गदर्शन भी करते हैं. पहले जब हड़िया दारू बेचते थे तो काफी शर्मिंदगी महसूस होती थी.
क्या कहते हैं लोग
कैंटीन में नियमित आने वाले समाहरणालय के मनोज व आशीष ने बताया कि पहले चाय के लिए भी उन्हें मेन रोड जाना पड़ता था, लेकिन अब उन्हें समाहरणालय परिसर में ही चाय व नास्ता मिल रहा है, इससे समाहरणालय कर्मियों को काफी सहुलियत हो गयी है.
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