Ranchi : राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने अपनी विदाई से पहले झारखंड के लोगों के प्रति आभार जताया है. शनिवार को राजभवन में पत्रकारों के साथ अनौपचारिक मुलाकात में उन्होंने कहा कि झारखंड में उन्हें लोगों का भरपूर प्यार और सहयोग मिला. उन्होंने ओडिशा और झारखंड की संस्कृति को लगभग एक जैसा ही बताते हुए कहा कि उनकी दादी झारखंड के चाईबासा की थीं. इसलिए झारखंड के साथ उनका खून का रिश्ता भी है. उन्होंने झारखंड में अपने कार्यकाल को संतोषजनक बताया.
टीएसी में संशोधन की फाइल देर से मिली
राज्यपाल ने टीएसी में सदस्यों का मनोनयन राज्यपाल के बजाए मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र में जाने पर कहा कि पर कहा कि उन्हें फाइल देर से मिली थी. अब इस मामले को नये राज्यपाल देखेंगे.
सीएनटी एसपीटी की मूल भावना के साथ नहीं हो छेड़छाड़- सीएनटी और एसपीटी को आदिवासी हितों की रक्षा के लिए बनाया गया कानून बताते हुए द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि आंशिक संशोधन पर विचार किया जा सकता है, लेकिन इसकी मूल भावना के साथ छेड़छाड़ नहीं करना चाहिए .
आदिवासियों के विकास के लिए समाज आये आगे– झारखंड में आदिवासियों की घटती संख्या को रोकने और उनके लिए शिक्षा और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए सरकार के अलावा समाज को भी आगे आने की जरूरत है. तभी राज्य का सर्वांगीण विकास हो पाएगा. राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि गुणवत्तापूर्ण होनी चाहिए .
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सरकारों का लक्ष्य एक, काम का तरीका अलग –अलग
राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने अपने कार्यकाल में दो सरकारों को देखा और उनका कहना है कि सभी सरकारों का लक्ष्य एक ही है और वह है राज्य का विकास. लेकिन उनके काम करने का तरीका अलग होता है, इसलिए वे अलग दिखती हैं.
अब गांव में ही रहूंगी, शहर में नहीं बनाया है घर- अपने कार्यकाल के खत्म होने पर राज्यपाल द्रौपदी मूर्मू ने कहा कि अब वे अपने गांव मयूरभंज के रायरंगपुर में ही रहेंगी. उन्होंने बताया कि उन्होंने कभी शहर में नहीं रहना चाहा और इसलिए किसी शहर में उन्होंने घर नहीं बनाया.