Ranchi: हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी राज्य में गोवर्धन पूजा हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया. हालाकि इस बार कोरोना को देखते हुए सीमित तरीके से मनाया जा रहा है. गोवर्धन पूजा पांच दिवसीय भव्य त्यौहार महोत्सव का चौथा दिन है, जो गोवत्स द्वादशी पूजा के साथ शुरू होता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के गोवर्धन रूप की अराधना की जाती है, और उन्हें 56 भोग के साथ ही अन्नकूट का प्रसाद चढ़ाया जाता है. इसी कारण इस त्योहार को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है.
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इस बार नहीं होगी ऐतिहासिक परिक्रमा
हर वर्ष आज के ही दिन मथुरा और वृंदावन में भक्त खासी भीड़ देखने को मिलती थी. आज के दिन देश-विदेश से भक्त श्रीकृष्ण पूजा के लिए उमड़ते हैं. पर इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण वश गोवर्धन पर्वत की ऐतिहासिक परिक्रमा प्रतिबंधित की गयी है. इस बार केशव देव गोरिया मठ में मुख्य समारोह का आयोजन किया जा रहा है.
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क्या है मान्यता
मान्यता अनुसार गोकुलवासी गोवर्धन पूजा के पहले इंद्र देव की पूजा किया करते थे. एक बार श्री कृष्ण के कहने पर जब गोकुल वासियों ने गोवर्धन पर्वत की आराधना करनी शुरू की. जब इंद्र देव को यह बात पता चली तो वह क्रोधित हो उठे. और अपने प्रकोप स्वरूप उन्होंने गोकुल पर लगातार सात दिनों तक मूसलाधार बारिश की. भगवान कृष्ण ने ब्रज वासियों की जान बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर उठा लिया, और सभी लोगों ने गोवर्धन पर्वत के नीचे शरण लेकर अपनी जान बचायी. जब कृष्ण जब इंद्र देव को यह ज्ञात हुआ की कृष्ण ही भगवान विष्णु के अवतार हैं, तब उन्होंने उनसे माफी मांगी. इसी दिन से गोवर्धन पूजा और अन्नकूट मनाने की प्रथा शुरू हुई. इसी कारणवश भगवान श्री कृष्ण को गोवर्धन धारी और गिरधारी के नाम से भी जाना जाता है.
गाय की पूजा का है विशेष महत्व
गोवर्धन पूजा के दिन कई जगह पर गाय की भी पूजा की जाती है. गायों को स्नान करा उन्हें सिंदूर फूल आदि से सजाकर उनकी पूजा करने की प्रथा है.
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