Ranchi: सरना धर्म कोड के साथ कुरमी/कुडमी (महतो) जाति को एसटी की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव को पारित करके केंद्र सरकार को भेजने की मांग को लेकर कुरमी/कुडमी विकास मोर्चा ने शनिवार को होटल गंगा आश्रम में प्रेस वार्ता की. मौके पर विकास मोर्चा के केन्द्रीय अध्यक्ष शीतल ओहदार ने कहा कि झारखंड सरकार द्वारा विशेष सत्र बुलाकर सरना धर्म कोड का प्रस्ताव पारित करने की पहल को कुरमी/कुड़मी समाज स्वागत करती है, इससे आदिवासी समाज के धार्मिक पहचान को मान्यता मिलेगी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को इसी विशेष सत्र में कुरमी/कुड़मी(महतो) जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव को भी पारित करके केंद्र सरकार को भेजना चाहिये.
जेएमएम पार्टी रही है पक्षधर
झारखंड मुक्ति मोर्चा शुरू से ही कुरमी/ कुड़मी (महतो) जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में सूचीबद्ध करने का पक्षधर रहा है, झारखंड मुक्ति मोर्चा के संविधान में ही इस मांग का उल्लेख है कि जब झारखंड राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा का सरकार बनेगी तो टोटमिक कुरमी/कुड़मी(महतो) जाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिलाया जायेगा. झामुमो के संस्थापक अध्यक्ष स्व.विनोद बिहारी महतो और झारखंड आंदोलन के महानायक एवं झामुमो के पूर्व केन्द्रीय अध्यक्ष शहीद निर्मल महतो की भी यहीं इच्छा थी।
1931 में कुरमी/ कुड़मी ट्राईब कि सूची में थे शामिल
बता दें कि 1931 में मुंडा, उरांव, संथाल, हो, भूमिज, खड़िया, घासी, गोंड, कोद ,कोरआ, कुरमी, माल सौरिया और पान प्रिमिटिव ट्राईब कि सूची में शामिल थे। देश आजादी के बाद 6 सितम्बर 1950 को देश की संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत राष्टपति उसी को अनुसुचित जनजाति की सूची में शामिल किया जो 1931 में प्रिमिटिव ट्राईब कि सूची में शामिल थी, लेकिन कुरमी/कुडमी (महतो) 1931 के प्रिमिटिव ट्राईब की सूची में रहते हुए भी अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल नही किया गया.