- 1980 में स्थापित यह संस्थान टॉप 30 में नहीं आ पाया, आत्ममंथन करें
Ranchi : बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में गुरुवार को 7वां दीक्षांत समारोह मनाया गया. समारोह में ग्रेजुएशन, मास्टर्स और पीएचडी के 1139 विद्यार्थियों को डिग्रियां दी गयीं. समारोह के मुख्य अतिथि राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि विद्यार्थियों की उपलब्धियों में ही विश्वविद्यालय की उपलब्धि है. साथ ही शिक्षकों की कमी, पठन- पाठन में गुणवत्ता का अभाव व शोध कार्य में गुणवत्ता की कमी पर चिंता जतायी. कहा कि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय को वर्ष 2017 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की नेशनल रैंकिंग में 53वां स्थान प्राप्त हुआ था. वहींं 2018 में 60 रैंक मिला और कृषि विश्वविद्यालय की सूची से बाहर हो गया. फिर 2020 में इसे 58वां रैंक मिला. आकिर क्या कारण है कि 1980 में स्थापित यह संस्थान टॉप 30 में नहीं आ पाया है. इसका सबसे बढ़ा कारण शिक्षकों की कमी, पठन- पाठन में गुणवत्ता का अभाव व शोध कार्य में गुणवत्ता की कमी तो नहीं है, इस पर आत्ममंथन करना चाहिए.
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सीखने की कोई उम्र सीमा नहीं होती
राज्यपाल ने पास आउट विद्यार्थियों से कहा कि जीवन में कभी भी सीखने में संकोच न करे. दूसरे के अच्छे गुणों को अपनाएं. यही एक अच्छे और सफल विद्यार्थी के लक्षण हैं. सीखने की कोई उम्र सीमा नहीं होती है. आप सीखते रहिए. इससे ही ऊंचे स्थान आप प्राप्त करते रहेंगे. विद्यार्थियों की उपलब्धियों में ही विश्वविद्यालय की उपलब्धि है. आज यहां से डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों ने निश्चित रूप से अपना लक्ष्य और भविष्य तय कर लिया होगा. हर रोज नई चुनौती और नए अवसर आते रहते हैं. आने वाले अवसरों का लाभ आप उठाएं.
24 विद्यार्थियों को मिला गोल्ड मेडल
दीक्षांत समारोह में कृषि, बागवानी, दुग्ध प्रौद्योगिकी और कृषि अभियंत्रण महाविद्यालयों ने भाग लिया. 24 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल दिया गया. 26 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि दी गई. 226 को मास्टर्स डिग्री और स्नातक के 887 विद्यार्थियों को डिग्री दी गयी. मौके पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह, आईसीएआर के निदेशक हिंमांशु पाठक और विश्ववविद्यालय के पदाधिकारी व शिक्षक उपस्थित थे.
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