Saurav Shukla
Ranchi: रिम्स को सुर्खियों में रहना पसंद है. क्योंकि अस्पताल की व्यवस्था ही ऐसी है कि इलाज के लिए आने वाले मरीज इससे त्रस्त हो जाते हैं. एक बार फिर से रिम्स में अजीबो-गरीब मामला सामने आया है. जब अस्पताल के सर्जरी विभाग में भर्ती 36 वर्षीय अंशु देवी को डॉक्टरों ने सुबह 8:00 बजे मृत घोषित कर दिया. बात यहीं खत्म नहीं हुई. उसका डेड बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट तक बना दिया गया. सर्टिफिकेट का नंबर (DR-10147) दे दिया गया. मौत की वजह कार्डियक रेस्पिरेट्री फेलियर (दिल की धड़कन और सांस का बंद हो जाना) बताया गया. इसके बाद परिजनों में चीख पुकार मच गई. हजारीबाग से दो गाड़ियों से रिश्तेदार रिम्स पहुंच गए. लेकिन फिर से विभाग के डॉक्टरों ने कहा कि मरीज की धड़कन चल रही हैं. और अंशु का इलाज शुरू कर दिया जाता है. लेकिन बुधवार की शाम को पांच बजे अंशु की मौत हो गयी.
वेंटिलेटर पर होने की बात डॉक्टर ने बताया, फिर कहा हो गयी मौत: दिनेश साव
दरअसल, हजारीबाग जिले के सिरका गांव की रहने वाली अंशु देवी को हार्ट में समस्या होने के बाद 23 नवंबर को शाम 6:20 में भर्ती किया गया. रिम्स के सर्जरी विभाग के डॉ शीतल मलुआ के यूनिट में उसे भर्ती किया गया. पति दिनेश साव ने कहा कि बुधवार की सुबह डॉक्टर ने कहा कि आपकी पत्नी वेंटिलेटर पर है. थोड़ी देर के बाद कहा जाता है कि धड़कनें रुक गईं और उसकी मौत हो गई है. ये कहते हुए डेड बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट दे दिया गया. फिर डॉक्टर कहते हैं कि धड़कनें चल रही हैं. समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर हो क्या रहा है? उन्होंने कहा कि शाम 5 बजे पत्नी की मौत हो गयी. दिनेश ने आरोप लगाया की डॉक्टरों ने ठीक ढंग से इलाज नहीं किया.
डॉक्टर कहना क्या चाहते हैं समझ से परे
वहीं परिजन वीणा ने कहा कि डॉक्टर ने कहा की मौत हो गई है. यह सुनते ही चीख पुकार मच गई. फिर डॉक्टर कहते हैं कि अंशु अभी जिंदा है. ऐसे में सवाल है कि जिसके भरोसे रिम्स आयी हूं, वो कहना क्या चाह रहे हैं ये समझ से परे है. जिस उम्मीद से अंशु को इलाज के लिए लायी थी वो पूरा नहीं हुआ. बिलखते हुए कहा कि अब रिम्स से शव को लेकर जा रही हूं.
रिम्स के जनसंपर्क अधिकारी ने क्या
हालांकि इस मामले पर रिम्स के जनसंपर्क अधिकारी डॉ राजीव रंजन ने कहा कि जांच के बाद मरीज के मौत होने की पुष्टि की गयी थी. इसके बाद डेड बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट दिया गया है.