NewDelhi : जकिया जाफरी केस में अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मंगलवार को SC में कहा कि यह एक ऐसा मामला है, जहां कानून की महिमा गंभीर रूप से तार-तार हुई है. गोधरा की 2002 की घटनाओं और उसके बाद के दंगों को राष्ट्रीय त्रासदी करार देते हुए सिब्बल ने कहा कि याचिकाकर्ता(जकिया जाफरी) इस बात से चिंतित है कि कानून की महिमा ऐसे मुद्दों से कैसे निपटेगी जब लोग जानवरों की तरह व्यवहार करते हैं. सिब्बल की दलील थी कि जकिया जाफरी की 2006 की शिकायत यह थी कि एक बड़ी साजिश हुई थी जहां नौकरशाही की निष्क्रियता, पुलिस की मिलीभगत, नफरत भरे भाषण-नारेबाजी और हिंसा को बढ़ावा दिया गया था.
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28 फरवरी 2002 को गुलबर्ग सोसाइटी में हिंसा हुई
बता दें कि अहमदाबाद में 28 फरवरी 2002 को गुलबर्ग सोसाइटी में हिंसा के दौरान मारे गये कांग्रेस नेता एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी ने दंगों के दौरान गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 64 लोगों को एसआईटी द्वारा दी गयी क्लीन चिट को चुनौती दे रखी है. जाफरी द्वारा रिकॉर्ड पर रखी गयी सामग्री का जिक्र करते हुए सिब्बल ने SC से कहा, यह हत्या या की गयी हिंसा के किसी एक व्यक्तिगत मामले से संबंधित नहीं हैं. यह ऐसी हिंसा है जिसे सोच-समझकर अंजाम दिया गया था और दस्तावेजों से इसका पता चलता है.
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यह इस देश की राजनीति से संबंधित है
सिब्बल ने कहा कि ये दस्तावेज आधिकारिक रिकॉर्ड का हिस्सा हैं और विशेष जांच दल (एसआईटी) ने इन पहलुओं की जांच ही नहीं की. कहा कि याचिकाकर्ता किसी विशेष व्यक्ति का जिक्र नहीं कर रही और न ही किसी के खिलाफ मुकदमा चलाने की उनकी इच्छा है. सिब्बल ने कहा, ‘यह मुद्दा व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने के मुद्दे से बहुत व्यापक है. यह इस देश की राजनीति से संबंधित है. कहा कि यह एक राष्ट्रीय आपातकाल थाच साबरमती (ट्रेन) में जो हुआ, वह राष्ट्रीय आपातकाल था. जान लें कि साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 डिब्बे को गोधरा में जला दिया गया था, जिसमें 59 लोगों की मौत हो गयी थी और इसके बाद 2002 में गुजरात में दंगे हुए थे.
बहस के क्रम में सिब्बल ने कहा, मैं संविधान को देख रहा हूं और खुद से कह रहा हूं, हमारे सिस्टम में कानून के राज के तहत क्या इसकी अनुमति दी जा सकती है और अगर इसकी अनुमति दी जा रही है तो हमारी रक्षा कौन करेगा?
एसआईटी की ओर से मुकुल रोहतगी आज पक्ष रखेंगे
सिब्बल का कहना था कि विशेष जांच दल ने रिकॉर्ड पर उपलब्ध कई पहलुओं और सामग्रियों की जांच नहीं की थी और निचली अदालत ने भी इस पर गौर नहीं किया. उन्होंने कहा कि शायद ही किसी के पास साजिश का प्रत्यक्ष सबूत हो सकता है और यह परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित है जो जांच होने पर ही सामने आयेगा. सिब्बल ने कहा कि यदि आप जांच नहीं करते हैं तो आप कभी भी परिस्थितियों का पता नहीं लगा पायेंगे और आप कभी भी साजिश का पता नहीं लगा पायेंगे. सिब्बल ने अपनी दलील में यहां साजिश स्थापित करने के लिए नहीं हूं. यह मेरा काम नहीं है.
यह एसआईटी का काम है. सिब्बल ने कहा, मेरी शिकायत यह है कि उन्होंने इसकी जांच नहीं की. सिब्बल ने अंत में कहा कि गणतंत्र एक जहाज की तरह है. इसे स्थिर बनाना होगा और जहाज केवल तभी स्थिर रहेगा जब कानून की महिमा कायम रहे. बता दें कि पीठ ने सिब्बल की दलीलें सुनने के बाद कहा कि वह एसआईटी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी की दलीलें बुधवार को सुनेगी.