लॉकडाउन का असर, कुछ कोचिंग शिक्षक नारियल पानी बेचने को हुए मजबूर, तो कुछ गए जेल
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सभी के जीवन व जीविका बचाने वाली बात लगती है बेईमानी
Ranchi : कोरोना महामारी के इस मुश्किल दौर में जब झारखंड सरकार यह कहती है कि वो लोगों की जीवन और जीविका दोनों का ध्यान रखेगी, तब यह सुनने मे अच्छा लगता है. लेकिन जब हम राज्य के कोचिंग संस्थान से जुडें लोगों अर्थात कोचिंग संचालकों, शिक्षकों और अन्य स्टाफ के जीवन पर नजर डालते है तो सरकार की जीवन और जीविका वाली बाते बेईमानी सी लगती है. पिछले साल के देशव्यापी सम्पूर्ण लॉकडाउन के बाद जब अनलॉक की प्रक्रिया आरंभ की गई तब कोचिंग संस्थानो को सबसे अंत में खोलने की अनुमति दी गई. कोचिंग संचालकों के लंबे संघर्ष के बाद इस वर्ष होली के बाद ही कोचिंग संस्था खुल पाए. लेकिन इसी बीच कोरोना के दूसरी लहर के बीच 6 अप्रैल को सबसे पहले यानी एक महीने में ही शिक्षण संस्थानों को बंद करने का आदेश आ गया.
सरकार के निर्णय का हजारीबाग में हुआ था भारी विरोध, सङक पर आ गए थे हजारों छात्र
लगभग एक साल बंद रहने के बाद कोचिंग संस्थान दोबारा खुले ही थे कि फिर से बंद करने का आदेश आ गया. जिसे लेकर हज़ारीबाग जिला प्रशासन को कोचिंग संचालकों और छात्रों ने भारी विरोध किया था. हजारों छात्र और कोचिंग शिक्षक कोर्रा मटवारी की सङकों पर आ गए और हेमंत सरकार के विरूद्ध नारेबाजी करने लगे. बात इतनी बढ़ गई कि प्रशासन को स्थिति नियंत्रण में करने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा. कोविड 19 के गाइडलाइन का उल्लंघन करने और सरकारी काम में बाधा डालने के जुर्म में दो कोचिंग संचालक महेश मंडल और राजेश कुमार मंडल को जेल भेज दिया गया था.
दुमका के शिक्षक जीवन- यापन के लिए बेच रहे है नारियल पानी
लगभग डेढ़ साल से बंद कोचिंग व्यवसाय और किराये के लिए मकान मालिकों के बढ़ते दवाब के बीच रांची के आधे से अधिक कोचिंग इंस्टीट्यूट हमेशा के लिए बंद हो चुके है और उनके शिक्षक जीवन यापन के लिए अन्य काम करने को विवश है. हाल ही में दुमका के एक कोचिंग शिक्षक अश्विनी कश्यप की फ़ोटो वायरल हुई थी जिसमें वह जीवन यापन के लिए नारियल पानी बेच रहे है. अश्विनी बताते हुए भावुक हो जाते है कि उन्हें शिक्षक होते हुए भीषण गर्मी में नारियल पानी बेचना पड़ रहा है, जिस से उनके हाथ काले पड़ गए है. अश्विनी फिजिक्स के शिक्षक है, उन्होंने बताया जेवियर स्कूल में पढ़ा चुके है, पीएचडी करने के लिए उन्होंने स्कूल की नौकरी छोड़ दी थी और फिलहाल कोचिंग खोल कर पढ़ा रहे थे.
रांची में सालाना एक अरब से भी अधिक का था कोचिंग कारोबार
एक अनुमान के अनुसार लॉकडाउन से पहले तक रांची में कोचिंग कारोबार सालाना एक अरब से भी अधिक का था. मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी कराने वाले प्रमुख कोचिंग इंस्टीट्यूट डेढ़ से तीन लाख रुपए तक की फ्री वसूलते थे, जबकि रेलवे, एसएससी की तैयारी कराने वाले कोचिंग की फ्री लगभग 15 से 25 हज़ार तक थी. इसके अतिरिक्त अन्य कोर्स की भी पढ़ाई कराने वाले कोचिंग रांची में चलती थी, जिसमे स्टूडेंट्स की भरमार थी.
कोचिंग व्यवसाय से जुड़े लोगों को कोरोना की दूसरी लहर ने कमर तोड़ दी है.
झारखंड कोचिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष सह श्योर सक्सेस सेंटर के निदेशक सुनील जायसवाल कहते है, कि पहले से खस्ताहाल कोचिंग व्यवसाय से जुड़े लोगों को कोरोना की दूसरी लहर ने कमर तोड़ दी है. किराये के रूम में चलने वाले कोचिंग संस्थान अब शायद ही दोबारा खुल पाए. कोरोना के घटते आंकड़े के बीच उन्होंने उम्मीद जताई कि स्थिति सामान्य होने पर जब सभी व्यावसायिक गतिविधियां फिर से खुलेगी तब पिछली बार की तरह सरकार देर ना करते हुए. उनलोगों को भी जल्द ही कोचिंग खोलने की अनुमति दे देगी.