RANJIT KUMAR SHARMA
Jamshedpur : जुगसलाई विधानसभा क्षेत्र के हुरलुंग पंचायत में लुपुंगडीह गांव में सबर जाति के लोग रहते हैं. गांव में सबर जाति के 19 परिवार हैं. इनकी आबादी लगभग 120 है. उनके जीवन स्तर को सुधारने के लिए यहां लगभग 20 वर्ष पूर्व हस्तकरघा प्रशिक्षण केंद्र खोला गया था. इसमें 30 सबर जाति के साथ-साथ अन्य आदिवासी महिलाओं को भी कपड़ा बुनने का प्रशिक्षण दिया जाता था. प्रशिक्षणार्थियों को 60 रुपए प्रतिदिन स्टाइपेंड भी दिया जाता था. यहां 17 साल से ओडिशा के प्रशिक्षक संजीत बेहरा महिलाओं को प्रशिक्षण देते थे. लेकिन पिछले करीब तीन वर्षों से यह प्रशिक्षण केंद्र बंद है. संजीत बेहरा ने बताया कि प्रशिक्षण के बाद महिलाएं यहां काम भी करती थीं. उन्हें मेहनत के अनुसार रुपए भी मिलते थे. इस प्रशिक्षण केंद्र को भारत सेवाश्रम संघ चलाता था. इसे पुनः चालू कराने के लिए संजीत बेहरा ने भारत सेवाश्रम संघ से कई बार बात की, लेकिन कुछ नहीं हुआ. प्रशिक्षण केंद्र के लिए रुपए जनजातीय मंत्रालय से मिलता था, लेकिन केंद्र से फंड नहीं मिलने के कारण यह बंद पड़ा है. सबर जाति के लोग भी बेरोजगार हो गए हैं. अब महिलाएं जंगल से लकड़ी चुनकर लाती हैं और उसे बेचकर किसी तरह अपना गुजारा करती हैं. प्रशिक्षण केंद्र में हस्तकरघा मशीनें लकड़ी की है, जिसे कीड़े खा रहे हैं. फंड के अभाव में इनका देखरेख संभव नहीं हो पा रहा है. प्रशिक्षक संजीत बेहरा ने बताया कि उन्हें भी अब वेतन नहीं मिल रहा है. उनकी स्थिति भी दयनीय है. वे किसी तरह मेहनत कर अपना और परिवार का पेट पाल रहे हैं. सबर जाति के लोगों की स्थिति काफी दयनीय है. सरकार द्वारा बनाकर उन्हें दिया गया घर भी बारिश में चूता रहता है.
केंद्र के जनजातीय मंत्रालय ने फंड देना बंद कर दिया इसलिए नहीं चला पा रहे प्रशिक्षण केंद्र : अजीत स्वामी
भारत सेवाश्रम संघ के स्वामी अजीत ने हस्तकरघा प्रशिक्षण केंद्र के संबंध में कहा कि पूर्वी सिंहभूम समेत पूरे कोल्हान में कुल सात हस्तकरघा और सिलाई प्रशिक्षण केंद्र चलाया जा रहा था. सभी केंद्रों को भारत सेवाश्रम संघ ही चलाता था. इसके लिए केंद्र सरकार के जनजातीय मंत्रालय से फंड आता था, लेकिन अचानक सरकार ने फंड देना बंद कर दिया. इस कारण सभी केंद्र बंद हो गए हैं. वहां किसी को भी प्रशिक्षण नहीं दिया जा रहा है. इसका सबसे ज्यादा नुकसान सबर जाति को हुआ है. इन प्रशिक्षण केंद्रों से सबर जन जाति के लोगों के जीवन स्तर में काफी सुधार हो रहा था. इसके लिए कई बार अधिकारियों से बात की गई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. भारत सेवाश्रम संघ पोटका प्रखंड के दबंकी में हस्तकरघा प्रशिक्षण केंद्र, सबर नगर में कृषि ट्रेनिंग सेंटर, नोवामुंडी प्रखंड के टाटिबा गांव में हस्तकरघा प्रशिक्षण, बंदगांव प्रखंड के कुंदरुगुट्टू में टेलरिंग प्रशिक्षण, जमशेपुर शहरी क्षेत्र के कदमा और परसुडीह में टेलरिंग प्रशिक्षण, सरायकेला में टेलरिंग प्रशिक्षण, नीमडीह प्रखंड के समनपुर गांव में कैब मेकिंग (कास के घास) का प्रशिक्षण दिया जाता था. लेकिन केंद्र सरकार से फंड नहीं मिलने के कारण सभी प्रशिक्षण केंद्र बंद पड़े हैं.
बंद प्रशिक्षण केंद्र को चालू कराने के लिए अपने स्तर से सब कुछ करूंगा : डीसी
पूर्वी सिंहभूम के डीसी सूरज कुमार ने कहा कि लुपुंगडीह और पूर्वी सिंहभूम में बंद पड़े हस्तकरघा प्रशिक्षण केंद्रों का चालू कराने के लिए वे अपने स्तर से सब कुछ करेंगे. सबर जाति के लोगों को प्रशिक्षण देने के लिए इसे खोला गया था तो इसे चालू कराने का प्रयास करेंगे. इसके पीछे के कारणों को वो जानना चाहेंगे कि क्यों इसे बंद किया गया. वे इसे चलाने वाली संस्था और प्रशिक्षक से मिलेंगे ताकि सभी कारणों को वे विस्तार से समझ और जान सकें. इसके बाद इस संबंध में आगे कदम उठाएंगे.