सेमिनार में आपराधिक कानून, 2023 और हिट एंड रन मामलों में पुलिस की भूमिका पर चर्चा
Hazaribagh : झारखंड विधिक सेवा प्राधिकार के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकार, हजारीबाग के बैनर तले रविवार को सेमिनार का आयोजन किया गया. समाहरणालय परिसर स्थित कांफ्रेंस हॉल में आयोजित कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य आपराधिक कानून, 2023 और हिट एंड रन मामलों में पुलिस की भूमिका को लेकर जागरूकता फैलाना था. इसमें बतौर मुख्य अतिथि प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सत्य प्रकाश सिन्हा, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम एसपी सिंह, कुटुंब न्यायाधीश संजीव दास, जिला उपायुक्त नैंसी सहाय और जिला पुलिस अधीक्षक अरविंद कुमार सिंह उपस्थित हुए.
सभी वर्गों से साथ मिलकर चलने की सलाह दी गयी
मुख्य ट्रेनर के तौर पर हजारीबाग बार संघ के वरीय अधिवक्ता सत्येंद्र कुमार ओझा, नवनीश चंद्र प्रसाद और शंकर बनर्जी भी मौजूद थे. सभी अतिथियों का स्वागत पौधा देकर किया गया. उपायुक्त ने सभी से नए आपराधिक कानूनों को पढ़ने और समझने की बात कही और इससे जुड़े सभी वर्गों से साथ मिलकर चलने की सलाह दी. कार्यक्रम में मंच संचालन न्यायिक पदाधिकारी अनुष्का जैन कर रही थी, जबकि धन्यवाद ज्ञापन मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सिंधु नाथ लमय ने दिया. पूरे कार्यक्रम की देखरेख जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव गौरव खुराना और सिविल कोर्ट निबंधक दिव्यम चौधरी कर रहे थे. कार्यक्रम में जिले के सभी न्यायिक पदाधिकारी, थाना प्रभारी व पुलिस पदाधिकारी, अभियोजन पदाधिकारी, एलएडीसी के सदस्य, पारा लीगल वालेंटियर और कोर्ट कर्मचारी मौजूद थे.
हिट एंड रन मामले पर प्रकाश डाला
जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम एसपी सिंह ने हिट एंड रन मामले पर प्रकाश डालते हुए पुलिस को उनके कर्तव्यों से अवगत कराया और पीड़ित को आर्थिक व कानूनी मदद पहुंचाने की प्रक्रिया के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि नए कानून में दंड की नहीं न्याय की बात कही गई है. वहीं बतौर प्रमुख वक्ता वरीय अधिवक्ता शंकर बनर्जी ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 पर चर्चा करते हुए बताया कि इस नए कानून में इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल माध्यमों को प्राथमिक साक्ष्य के रूप में अपनाया गया है, जिसके लिए गवाहों के बयानों और घटनास्थल की फोटोग्राफी को इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के रूप में मान्यता मिल जाने की बात बताई. हालांकि उन्होंने इसमें कई सावधानियों को बरतने की बात बताई.
वरीय अधिवक्ता नवनीश चंद्र प्रसाद ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की विस्तार पूर्वक जानकारी स्लाइड शो के माध्यम से दी. इस दौरान उन्होंने एफआईआर, रिमांड, जमानत और जब्ती प्रक्रिया में किस प्रकार के बदलाव लाए गए हैं, पर चर्चा की. साथ ही विचारण व अनुसंधान में समय सीमा व उसके कार्य प्रणाली पर भी अपनी बात रखी.
परिवाद पत्र प्रस्तुत करने की प्रक्रिया पर जानकारी दी
नवनीश चंद्र प्रसाद ने परिवाद पत्र प्रस्तुत करने की प्रक्रिया पर जानकारी देते हुए बताया कि परिवाद दायर के तुरंत बाद ही अभियुक्तों को नोटिस कर उन्हें कोर्ट बुलाया जाएगा, जहां उनके पक्ष को सुनने के बाद ही परिवाद की अग्रतर कार्यवाही की जाएगी. उन्होंने इसे सही प्रक्रिया बताते हुए कहा कि इससे परिवादी और अभियुक्तों के बीच अगर सुलह की संभावना बनती है, तो यह सभी के लाभकारी सिद्ध हो सकता है. विचारों के आदान-प्रदान के दौरान प्रश्नावली सत्र भी चलाया गया, जहां कई लोगों ने अपने प्रश्नों से अपना और सभी के संदेह को दूर किया. कार्यक्रम के अंत में प्रधान जिला जज सत्य प्रकाश सिन्हा ने कहा कि इस परिचर्चा से सभी लाभान्वित हुए होंगे. उन्होंने कहा कि सभी लोग वर्तमान में सीखने की प्रक्रिया में हैं और साथ ही सभी से इसे सीखने व जानने की बात कही. कार्यक्रम में एमवीएसीटी के पीठासीन पदाधिकारी दीपक मल्लिक, कुटुंब न्यायाधीश संजीव दास और लोक अभियोजक मनोज कुमार झा ने भी कई अहम जानकारियां उपलब्ध कराई.
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