- इलाज के अभाव में तड़प रही बिरहोर महिला, तीन माह पहले पेट में कैंसर का चला था पता
- सप्ताहभर पहले सदर अस्पताल में चल रहा था इलाज
- रांची रेफर, रिम्स से निजी अस्पताल ले जाने कहा गया
Hazaribagh : बड़कागांव थाना क्षेत्र के सदबइया बिरहोर कॉलोनी निवासी सोमरी बिरहोर इन दोनों इलाज के अभाव में तड़प रही है. दरअसल, उसे तीन माह पहले पेट में कैंसर होने की बात कही गई. उसके बाद उसका इलाज सप्ताह भर पहले शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज में चल रहा था. चार दिन इलाज चलने के बाद उसे रांची रिम्स भेज दिया गया. लेकिन रिम्स के मेडिसीन आईसीयू में भी इलाज सही ढंग से नहीं हो पा रहा है.
अब उसे प्राइवेट नर्सिंग होम में ले जाने की सलाह दी जा रही है. यह जानकारी महिला के पति छोटे लाल ने ‘शुभम संदेश’ को दी. उन्होंने बताया कि वह सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं कि किसी प्रकार उनकी पत्नी की जान बच जाए. वह दर-दर की ठोकरें खाकर मदद की गुहार लगा रहा है. इस संबंध में बड़कागांव की समाजसेवी सरिता कुमारी ने बताया कि बिरहोर परिवार के लिए सरकार का आर्थिक सहयोग एवं प्राइवेट में भी इलाज करवाने का प्रावधान है. उसके पास आयुष्मान कार्ड भी है. लेकिन सिविल सर्जन ने रेफर कर दिया और रिम्स में भी ढंग का इलाज नहीं हो रहा है. अब उसे प्राइवेट हॉस्पिटल में ले जाने की बात कही जा रही है.
सरिता का कहना है कि एक ओर विलुप्तप्राय बिरहोर जनजाति के अस्तित्व को बचाने के लिए सरकार कई तरह के कार्यक्रम चला कर सभी सुविधाएं देने की बात कह रही है. वहीं, एक बिरहोर महिला कैंसर से पीड़ित है. उसके पति में जागरुकता का अभाव है. प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के साथ आमजनों को भी ऐसे में आगे बढ़कर मदद करने की दरकार है.
पति और समाजसेवी को दी थी जानकारी : सीएस
सिविल सर्जन डॉ. सरयू प्रसाद ने बताया कि बिरहोर महिला इलाज के लिए आई थी. बेहतर इलाज के लिए उसे रांची रिम्स भेजा गया था. उसे यह भी कहा गया था कि झारखंड के किसी भी नर्सिंग होम का एस्टीमेट बनवा लें, जो खर्च आएगा उसका बिल पास करवा देंगे. उन्होंने यह भी कहा कि एक समाजसेवी से भी बात हुई थी. उसे भी यह बात कही गई थी कि आप इलाज करवाइए. चाहे मेदांता ले जाइए या पारस अस्पताल में, केवल खर्च का ब्योरा बना कर दे दें.
कहां ले जाएं, नहीं है उतनी जानकारी : छोटेलाल
बीमार महिला के पति छोटेलाल ने कहा कि वह अपनी पत्नी को कहां ले जाएं, उन्हें उतनी जानकारी नहीं है. रिम्स से कह दिया गया है कि उसकी पत्नी यहां से ठीक नहीं होगी. एक समाजसेवी दीदी सरिता उनका सहयोग कर रही हैं. छोटेलाल ने कहा कि वह कम पढ़े-लिखे हैं. कभी स्टीमेट बनाने, तो कभी प्राइवेट हॉस्पिटल ले जाने को कहा जा रहा है. उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा है. कोई मसीहा आए और उनकी पत्नी को बचा ले, वह सभी से यही विनती कर रहे हैं.
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