Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में सदर अस्पताल को लेकर दाखिल अवमानना मामले में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि जब इस मामले की निगरानी हाईकोर्ट कर रहा है. तो भवन निर्माण विभाग के सचिव के द्वारा संवेदक को टर्मिनेट करने का नोटिस कैसे दिया गया? राज्य सरकार इस मामले में खुद अवमानना में है. क्योंकि उनकी ओर से दिसंबर 2018 में रांची सदर अस्पताल में सारी सुविधाओं के साथ 500 बेड चालू करने का आश्वासन दिया गया था.
लेकिन अभी तक वह काम पूरा नहीं हो पाया है. कोर्ट ने कहा कि अदालत के प्रयास से अब तक 85 प्रतिशत काम पूरा हुआ है. लेकिन टर्मिनेशन नोटिस की प्रक्रिया देखकर ऐसा लगता है कि सरकार इस काम में अड़ंगा डालना चाह रही है. अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि टर्मिनेशन की प्रक्रिया देखकर ऐसा लग रहा है कि सुनवाई को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है.
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अस्पताल का काम 2018 के अंत तक हो जाना चाहिए था -कोर्ट
हाईकोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि सदर अस्पताल का सारा काम 2018 के अंत तक हो जाना चाहिए था. लेकिन अब तक काम पूरा नहीं हुआ. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने भवन निर्माण विभाग के सचिव को वीसी के जरिये सुनवाई में उपस्थित होने का निर्देश दिया. जिसपर सचिव ने वीसी के माध्यम से अदालत के समक्ष उपस्थित होकर अदालत को बताया कि अस्पताल के निर्माण का कार्य जल्द पूरा करने की दिशा में काम किया जा रहा है.
अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए एक सप्ताह बाद कि तारीख मुक़र्रर करते हुए प्रोग्रेस रिपोर्ट मांगी है. हाईकोर्ट के समक्ष राज्य सरकार की तरफ से अधिवक्ता पीयूष चित्रेश उपस्थित हुए. वहीं विजेता कंस्ट्रक्शन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट में पक्ष रखा.
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